भागलपुर (बिहार): मेडिकल स्टोर्स पर फार्मासिस्ट की नियुक्ति सुनिश्चित करने को सरकार भले ही काफी जोर लगा रही हो लेकिन कैमिस्ट इसके विरोध में एकजुट हैं। शहर में फार्मासिस्टों की संख्या के अनुपात में दवा दुकानें कई गुणा होने के बावजूद सभी धड़ल्ले से चल रही हैं। इसके पीछे खास वजह यह है कि एक फार्मासिस्ट की डिग्री के सहारे दवा की कई दुकानें चल रही हैं। मेडिकल स्टोर संचालक अपने यहां फार्मासिस्ट को नियुक्त करने के बजाए उनकी डिग्री का सहारा लिए बैठे हैं और इसके बदले प्रति दुकान के हिसाब से मात्र एक से डेढ़ हजार रुपए किराया देते हैं। इससे वे फार्मासिस्ट को मोटी तनख्वाह पर नियुक्त करने से साफ बच जाते हैं। ड्रग इंस्पेक्टर की जांच के दौरान ये ले-देकर मामला निपटा लेते हैं। दवा दुकानदार और फार्मासिस्ट की मिलीभगत का यह खेल सदा से चलता आ रहा है। भागलपुर केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष घनश्याम कोटरीवाल का कहना है कि अगर सरकार कार्रवाई करे तो जिले में फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में चल रही करीब 90 फीसदी दवा दुकानें बंद हो जाएंगी।