Hyderabad: सिकंदराबाद के एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेफ्रोलॉजी एंड यूरोलॉजी (एआईएनयू) (Hyderabad) में एक 45 वर्षीय मरीज के किड़नी से 154 स्टोन निकाले गए। मरीज के दाहिने किड़नी में 154 स्टोन थे डॉक्टरों की सूझबूझ में ये ऑपरेशन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
सबसे बड़ा स्टोन लगभग 62 एमएम गुणा 39 एमएम बड़ा (Hyderabad)
तेलंगाना के रामागुंडम क्षेत्र के निवासी मरीज की सीटी स्कैन रिपोर्ट में किड़नी में कई स्टोन होने का संकेत दिया गया था, जिनमें से सबसे बड़ा स्टोन लगभग 62 एमएम गुणा 39 एमएम मापा गया था। बड़ा स्टोन किड़नी के सभी कैलिक्स में फैला हुआ था। एंडोस्कोपिक सर्जरी का उपयोग कर किड़नी के सबसे बड़े स्टोन को पहले टुकड़े करने के लिए किया गया था और कई टुकड़ों को पुन प्राप्त किया गया था। डॉक्टरों ने कहा कि सभी माध्यमिक पत्थरों को बरकरार रखा गया था और किड़नी से सबसे बड़े स्टोन सहित निकाले गए पत्थरों की कुल संख्या 154 थी।
स्टैगहॉर्न कैलकुली जटिल किड़नी का स्टोन
एआईएनयू के कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट राघवेंद्र कुलकर्णी ने मरीज के बारे में बात करते हुए कहा कि स्टैगहॉर्न कैलकुली जटिल किड़नी का स्टोन है जो किड़नी के संग्रह प्रणाली के अधिकांश हिस्से पर कब्जा कर लेता है। ये किड़नी का स्टोन हाई मॉर्बिडिटी (रुग्णता) से जुड़ी होती है, जो बार-बार मूत्र पथ के संक्रमण, किड़नी की चोट के रूप में हो सकती है। राघवेंद्र कुलकर्णी ने कहा कि स्टोन को पूरी तरह से साफ करने के लिए मरीज को मल्टी ट्रैक्ट पीसीएनएल से गुजरना पड़ा। स्टैगहॉर्न कैलकुली वाले रोगियों को प्रबंधित करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप से शुगर वाले मरीजों के लिए। पीसीएनएल जटिल या बड़े किड़नी की स्टोन के बोझ वाले मरीजों के लिए इलाज की पहली पसंद के रूप में विकसित हुआ है।
झारखंड को मिली पहली एयर एंबुलेंस
कई रिसर्चस ने किड़नी की स्टनों के लिए पीसीएनएल की सुरक्षा और प्रभावकारिता को प्रमाणित किया है। डॉ. राघवेंद्र कुलकर्णी ने अपनी विशेषज्ञों की टीम का भी धन्यवाद किया, जिसमें डॉ. गोपाल रामदास टाक, डॉ. सूरज पिन्नी और एनेस्थेटिस्ट डॉ. श्रीनिवास शामिल थे।