पूर्णिया। सदर अस्पताल में एचआइवी मरीजों को दवा की खुराक निर्धारण के लिए सीडी -4 मशीन लगने के बाद अन्य जिले रेफर किया जाता है। एक रोग की पुष्टि के बाद खुराक निर्धारण के लिए एआरटी सेंटर सदर अस्पताल में प्रारंभ किया गया है। इसके बाद भी अबतक यह सेंटर कार्य नहीं कर पा रहा है। रोगी में वायरस के लोड को परखा जाता था उसी आधार पर दवा की खुराक निर्धारित होती थी। पॉजिटिव मरीज की तुरंत इस मशीन से जांच होगी और दवा प्रारंभ हो सकती है। पहले लिक एआरटी की तरह जिला में कुछ समय सेंटर को चलाया गया सीडी -4 मशीन आने के साथ ही संक्रमित मरीजों को जांच के बाद यहीं पर दवा मिलने की बात कही गई थी। सेंटर के लिए चिकित्सक के अलावा लैब टेक्निसियन, काउंसेलर, एएनएम आदि स्टाफ की नियुक्ति हो चुकी है।
सेंटर को एचआईवी संक्रमितों की सही संख्या पता चलेगा उपचार की निगरानी भी संभव होगी। पहले एचआईवी पॉजिटिव मरीजों का इलाज सीडी-4 की गिनती देखकर की जाती है। इसके लिए मरीज को कटिहार रेफर किया जाता है। कभी-कभी कटिहार में दवा नहीं होने पर उन्हें लौटकर वापस आना पड़ता था। मरीज भागलपुर तक का चक्कर लगाते थे। पूर्णिया ही नहीं अररिया, मधेपुरा, सुपौल, सहरसा आदि जिले के मरीज भी इस सुविधा का लाभ उठा पाएंगे। डॉ. सौरभ ने बताया कि सीडी -4 मशीन के लिए स्टाफ को प्रशिक्षण मिल चुका है। मरीजों के परीक्षण के बाद उन्हें अब यहीं से दवा मिलेगी। अभी पुराने रोगी को दवा दी जा रही है जिनका पूर्व में दवा की खुराक का निर्धारण हो चुका है।
बता दें कि एचआईवी मरीजों को जांच के बाद देने के लिए सदर अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर में सीडी -4 मशीन लगी हुई है। अबतक सेंटर से नए मरीजों को दवा नहीं दी जा रही है। एआरटी (एंटीरेटरोवायरल थरेपी) की सुविधा एचआईवी संक्रमित मरीज के लिए प्रारंभ की गई है यहां पर जांच के दवा खुराक तय की जाएगी। चिकित्सक और कर्मियों को प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण अबतक नए रोगी यहां से दवा नहीं मिल पा रही थी। एक बार मरीज में एचआईवी की पुष्टि होने के बाद वायरस के लोड के मुताबिक दवा का डोज निर्धारित किया जाता है। टेक्निशियन और अन्य स्टाफ को विशेष प्रशिक्षण नहीं मिलने के बाद सीडी मशीन का अभी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। अभी चिकित्सक, टेक्निशियन, काउंसेलर समेत चार स्टाफ यह नियुक्त हैं। उसके पुराने के साथ नए मरीजों को यहीं से दवा मिलेगी। उसके लिए उन्हें अन्य जिले के अस्पताल का चक्कर नहीं काटना होगा। एआरटी सेंटर के अभाव में जिले और कोसी के अन्य जिलों के मरीजों को दवा के लिए भागलपुर या कटिहार का रूख करना पड़ता है। इस इलाके के करीब एक हजार से अधिक एचआईवी संक्रमितों को सुविधा मिल सकता है।