रोहतक। पीजीआई में एचआईवी मरीज का इम्यून सिस्टम जांचने के लिए वायरल लोड लैब का संचालन जल्द शुरू किया जाएगा। नोडल अधिकारी डॉ. रितु अग्रवाल ने बताया कि पूरे प्रदेश में एकमात्र सरकारी चिकित्सा संस्थान पीजीआई में ही वायरल लोड की सुविधा उपलब्ध होगी। इससे मरीजों का इम्यून स्टेट्स जानकर इलाज करने में सहायता मिलेगी। इस वर्ष की थीम ग्लोबल सॉलिडेरिटी शेयर्ड रिस्पांसिबिलिटी है।

दरअसल लैब स्थापित करने का काम अंतिम चरण में हैं। वायरल लोड सुविधा शुरू होने के बाद मरीज को दी जा रही दवा का असर पता करने में चिकित्सकों को इलाज करने में आसानी होगी। माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग की प्रोफेसर व एचआईवी लैब की नोडल अधिकारी डॉ. रितु अग्रवाल ने बताया कि विभाग की एचओडी व सीनियर प्रोफेसर डॉ. अपर्णा के निर्देशन में जल्द ही एचआईवी की वायरल लोड लैब का संचालन शुरू होने वाला है।

बतादें कि पीजीआई में इलाज के लिए आने वाले मरीज की एचआईवी स्क्रीनिंग का ग्राफ घटकर 50 फीसदी पर पहुंच गया है। ट्रामा सेंटर के कोविड में तब्दील होने और सर्जरी बंद होने से यह ग्राफ घटा है। माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग में प्रति माह 1500 और इमरजेंसी विभाग व ओपीडी में दो हजार के करीब लोगों की ही स्क्रीनिंग हो पा रही है। तो वहीं डॉक्टरों के अनुसार लैब में जांच करके ये पता किया जाएगा कि मरीज के शरीर में कितनी मात्रा में एचआईवी का वायरल लोड है।

दवा का असर जांचने के लिए दो तरह से जांच की जाती है। पहला सीडी 4 व दूसरा वायरल लोड टेस्ट होता है। सीडी 4 से रोग प्रतिरोधक क्षमता को देखा जाता है कि मरीज में इम्यून सिस्टम घट रहे हैं या बढ़ रहे हैं। यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही है तो इसका मतलब होता है कि दवा कारगर है और यदि नहीं बढ़ रहे हैं तो दवा बदल दी जाती है।