मध्यप्रदेश के गोहद से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। गोहद में करीब 450 ऐसे मेडिकल स्टोर्स है, जिसमें से 70 फीसदी के पास फार्मासिस्ट नहीं है। ऐसे में कई बार मरीजों को गलत दवाएं दे दी जाती हैं, जिससे उनकी जान पर बन आती है। कहने के लिए सरकार कई नियम बनाती है लेकिन ये सभी नियम कागजों तक ही रहते है, धरातल पर तो कुछ ओर ही चल रहा है।

गोहद में अवैध पैथोलॉजी लैब का कारोबार जोरों पर चल रहा है। डाक्टर्स के निजी क्लीनिकों पर आने वाले मरीजों के रोगों की जांच और जिले से बाहर विभिन्न कंपनियों के बड़े पैथलैब को सैंपल भेजने के लिए खोले गए कलेक्शन सेंटरों के नाम पर पैथोलॉजी लैब चल रही है। जोकि सरकारी नियमों के खिलाफ है। लेकिन सरकार ने अभी तक इसको लेकर कोई सुध नहीं ली है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि इन लैब में बिना पैथोलॉजिस्ट के मरीजों के गंभीर रोगों का डायग्नोस किया जा रहा है। अब इसका साफ मतलब ये निकलता है कि कल को कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है।

सबसे ज्यादा दुख तब होता है, जब इन सब लापरवाही के चलते किसी की मौत हो जाती है। हाल ही में कुछ ऐसा ही हुआ, जब सरकारी तंत्र की लापरवाही के कारण एक आठ वर्षीय बालक की मौत हो गई है।

बता दे कि हाईकोर्ट और सरकार के आदेश के तहत माह में एक बार पैथोलॉजी की जांच करना अनिवार्य है लेकिन इसके बाद भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज तक नगर में संचालित बिना पंजीयन के 16 पैथोलॉजी लैब पर जाकर जांच नहीं की गई है। ऐसा भी नहीं है कि सरकारी विभाग को इस सब की जानकारी नहीं है लेकिन किसी को मतलब ही नहीं है, जब तक बड़ा हादसा नहीं होगा तब तक चलने दो।