रायपुर। क्षेत्र में सैकड़ों क्लीनिक अवैध रूप से संचालित किए जा रहे हैं। ये बिना डिग्रीधारी स्वयंभू चिकित्सक सभी तरह की दवाइयां बांट रहे हैंं। यही नहीं, ये अपने यहां मरीज को भर्ती कर छोटी सर्जरी भी कर रहे हैं। इनके विरुद्ध लगातार कार्रवाई न होने का नतीजा है कि अकेले रायपुर जिले में कथित डॉक्टरों की संख्या 1500 से अधिक पहुंच गई है। बीते समय में हुई कार्रवाई के बाद इन्होंने शासन-प्रशासन को भ्रमित करने के लिए अपने क्लीनिक के बोर्ड पर एमबीबीएस, बीएएमएस आदि लिखना भी शुरू कर दिया है। ये दूसरे डिग्रीधारी डॉक्टर के नाम का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बैठते खुद हैं। नए नियमानुसार सभी पद्धति/विधा के डॉक्टर अपनी पद्धति में ही इलाज करने की पात्रता रखते हैं। अगर इनके पास दूसरी पद्धति की दवा या अन्य इलाज की सामग्री मिलती है तो उनके विरुद्ध कार्रवाई का प्रावधान है।
संबंधित विभाग के अफसरों ने बताया कि जब वे इन बिना डिग्रीधारी चिकित्सकों पर कार्रवाई करने जाते हैं तो राजनीतिक दबाव भी आता है। स्थानीय नेता फोन करके इन्हें छोडऩे को कहते हैं। यही वजह है कि इन पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है। इस बीमारी का जड़ से हल तभी संभव है जब सभी जनप्रतिनिधि कार्रवाई में सहयोग करें। बता दें कि साल 2013 में पंडरी इलाके में कार्रवाई करने गई टीम को तत्कालीन विधायक का फोन आया। टीम को बगैर कार्रवाई के लौटना पड़ा था। तब यह मामला सुर्खियों में रहा था। सीएमएचओ रायपुर डॉ. केआर सोनवानी का कहना है कि कार्रवाई के लिए टीम का पुनर्गठन किया जा चुका है। हमारे पास पहले से झोलाछाप की सूची है। उसी के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। इस बार अभियान चलेगा, जरूरत पडऩे पर कानूनी कार्रवाई करेंगे। इन सब दुकानों को बंद करना ही है।