जबलपुर। मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट अगले सत्र से एमबीबीएस के साथ एलोपैथी का ज्ञान भी ले सकेंगे। इसके लिए आयुष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में संशोधन पर सहमति बन गई है। इसमें आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी एवं नेचुरोपैथी, सभी आयुष विधाएं शामिल होंगी। आयुष पैथी की पढ़ाई करने वाले आयुष अस्पतालों की ओपीडी एवं आइपीडी में मरीजों की जांच और जानकारी ले सकेंगे।
नए सिलेबस का प्रावधान एलोपैथी के साथ ही आयुष की दवाओं के प्रभावी इस्तेमाल और मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया जा रहा है। आयुष एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच सहमति इस बात पर बनी है कि एमबीबीएस के सिलेबस में विद्यार्थियों को आयुष पैथी जानने का भी विकल्प दिया जाए। अगले सत्र से स्नातक स्तर पर समस्त चिकित्सा पाठ्यक्रमों (एमबीबीएस, बीडीएस, बीएएमएस, बीएचएमएस, बीयूएमएस) में नीट की मेरिट से प्रवेश दिया जाना है। प्रवेश के वक्त आयुष पैथी की पढ़ाई का विकल्प पूछा जाएगा। वैकल्पिक रूप से एलोपैथी की पढ़ाई करने वालों को तीन महीने का आयुष पैथी का इंट्रोडक्शन कोर्स पढ़ाया जाएगा। एमबीबीएस के साढ़े चार वर्षीय पाठ्यक्रम के दौरान उन्हें आयुष की अलग से जरूरी जानकारी दी जाएगी।
जानकारों के अनुसार कैंसर सहित कई गम्भीर बीमारियों के इलाज में आयुर्वेदिक दवा के बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। बीमारियों की रोकथाम के लिए आयुर्वेद पर आधारित कई नए शोध हो रहे हैं। एलोपैथी के चिकित्सक भी कई सामान्य और गम्भीर बीमारियों के उपचार में आयुर्वेद दवा को प्राथमिकता दे रहे हैं। वैकल्पिक विषय की पढ़ाई की सुविधा के जरिए मुख्य रूप से आयुर्वेद के फायदों पर फोकस किया जा रहा है।
आयुष मेडिकल एसोसिएशन के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राकेश पांडेय ने बताया कि एमसीआई भंग होने के बाद सरकार की ओर से बनाई गई गवर्निंग बॉडी और आयुष मंत्रालय के बीच एमबीबीएस डिग्री के दौरान आयुर्वेद, होम्योपैथी सहित आयुष की वैकल्पिक पढ़ाई को लेकर सहमति बन गई है। नई व्यवस्था सत्र 2019-20 से लागू होगी।