नई दिल्ली। आजकल डेंगू का सीजन चल रहा है। ऐसे में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी वेक्टर बोर्न डिजीज अपना जोर दिखाने लगी हैं। बीते कुछ महीनों के मुकाबले अगस्त और सितंबर के शुरुआती दिनों में इनके दोगुने केस देखे गए हैं। इसे लेकर राज्य सरकारें सतर्क हो गई हैं। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी लगातार अस्पतालों को तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, स्वास्थ्य विभाग की ओर से डेंगू के सीजन में एस्पिरिन, ब्रूफीन और वोवरेन जैसी दवाओं को बैन करने का निर्देश दिया गया है ताकि लोग कैमिस्ट से इन दवाओं को ना खरीद सकें।
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जब भी वेक्टर बोर्न डिजीज का सीजन आता है तो बहुत से लोग इनके शिकार होते हैं। किसी को मलेरिया, किसी को डेंगू तो किसी को चिकनगुनिया हो जाता है। लोग इससे अनजान रहते हैं। बुखार महसूस होने पर, शरीर में दर्द होने पर, उल्दी आदि आने पर लोग किसी रजिस्टर्ड डॉक्टर के पास ना जाकर, नजदीकी कैमिस्ट से दवा खरीदकर खा लेते हैं। कैमिस्ट इन्हें ऐसी परेशानी के लिए एस्पिरिन, ब्रूफीन और वोवरेन जैसी दवा दे देते हैं, जिनके परिणाम बेहद गंभीर होते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग ने ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट को यह निर्देश दिया है कि वह नॉन स्टेरॉयडल एंटी इन्फलामेंट्री ड्रग्स (एनएसएआईडीएस) को लेकर एक एडवाइजरी जारी करें कि इन दवाओं को वेक्टर बोर्न डिजीज के सीजन में बैन कर दिया जाए और इन्हें शेड्यूल एच में डाल दिया जाए ताकि कोई भी कैमिस्ट इन दवाओं को बेच ना सके। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि इन दवाओं का मरीजों पर बेहद गंभीर प्रभाव पड़ता है। जनरल फिजिशियन डा. अनिल बंसल बताते हैं कि इन दवाओं को खाने से बुखार और दर्द से तो राहत मिल जाती है, लेकिन यह सीधा किडनी पर असर डालती हैं। आज कई लोगों को किडनी की समस्या है, जिसके पीछे एक कारण इन दवाओं का सेवन भी है। वहीं, इन दवाओं से शरीर पर रेशेज भी हो जाते हैं और डेंगू में भी वह रेशेज निकलते हैं। ऐसे में डॉक्टर के लिए यह पहचान करना मुश्किल हो जाता है कि रेशेज डेंगू की वजह से हुए हैं या फिर नॉन स्टेरॉयडल दवाओं की वजह से। इनके सेवन से प्लेटलेट्स भी कम होने लगते हैं। डॉक्टर और परिजनों को लगता है कि प्लेटलेट्स डेंगू की वजह से कम हो रहे हैं, लेकिन इसकी वजह कई बार ये दवाएं भी होती हैं।