शिमला (हप्र)। सूबे के लोग ऑनलाइन शॉपिंग से हर साल करीब एक करोड़ की दवा खा जाते है। बहरहाल अभी ऑनलाइन मेडिसिन शॉपिंग पर लगाई गई रोक के बाद अब प्रदेश फार्मेसी काउंसिल ने भी प्रदेश में दवाओं की खरीदारी को लेकर चैक रखने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। जानकारी के अनुसार प्रदेश की ओर से कोर्ट में ऑनलाइन शॉपिंग को लेकर एक शपथपत्र दायर किया गया था। इसमें प्रदेश फार्मेसी काउंसिल की ओर से प्रदेश सरकार को सौंपे गए शपथपत्र में ऑनलाइन शॉपिंग के दुष्प्रभाव बारे लिखा गया है। फिलहाल प्रदेश में ऑनलाइन शॉपिंग की तस्वीर पर गौर करें तो राज्य में सबसे ज्यादा ऑनलाइन शॉपिंग उच्च तबके द्वारा की जाती है। इसमें डॉक्टर से पर्ची लिखवा कर उसे कंपनी को भेज दिया जाता है और वह उन दवाओं को भेजता है। प्रदेश फार्मेसी काउंसिल ने साफ किया है कि दवा खरीदारी में फार्मासिस्ट का कोई सहयोग ही नहीं बताया गया है। इसमें एक कॉमन सेल्ज कर्मचारी दवा खरीदारी में काम करता है जो मेडिसिन एक्ट के तहत नहीं किया जा सकता है। हालांकि, अब ड्रग इंस्पेक्टर भी इन बिंदुओं पर नजर रखने जा रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग में दवा खरीदारी को लेकर फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया ने भी दो कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है। जिसमें ऑनलाइन दवा खरीदारी पर उन्हें कटघरे में खड़ा किया गया है। उधर, प्रदेश फार्मेसी काउंसिल ने भी प्रदेश सरकार को लिखा है कि ऑनलाइन शापिंग को लेकर जनता को भी जागरूक करना जरूरी है। इसमें उन्हें बताया जाना चाहिए कि इसके क्या-क्या हानिकारक प्रभाव हो सकते हैं। जनता को ये भी मालूम नहीं होता है कि जो दवाएं ऑनलाइन के माध्यम से आ रही हैं, उसका क्या साइड इफेक्ट शरीर पर हो सकता है।
इस मामले में स्टेट फार्मेसी काउंसिल के अध्यक्ष गोपाल शर्मा का कहना है कि ऑनलाइन दवा खरीदारी पर अब प्रदेश में चैक रखा जाएगा। कोर्ट को भी स्टेट फार्मेसी काउंसिल की ओर से एक शपथपत्र सौंपा गया था। अब मेडिसिन ऑनलाइन शॉपिंग पर रोक लगा दी गई है।