चंडीगढ़। ऑर्गन डोनेशन को लेकर पीजीआई चंडीगढ़ के डॉक्टरों की कमेटी की सिफारिशों पर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने दोनों राज्य सरकारों व चंडीगढ़ प्रशासन को विचार करने के निर्देश दिए हैं।
जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस हरिंदर सिंह सिद्धू की खंडपीठ ने इस संबंध में एक्ट को कड़ाई से लागू करने को भी कहा। कोर्ट ने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन के एडवाइजर और दोनों राज्यों के चीफ सेक्रेटरी, केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव के पास सिफारिशों को तीन सप्ताह में भेजा जाए जो आगे इन पर विचार करें। ऑर्गन डोनेशन को पारदर्शी व सरल बनाने के लिए रिपोर्ट में सिफारिश की गई कि अंगदान के महत्व को समझाने के लिए इसका पाठ स्कूलों में 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा में अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए। इसके साथ ही जीते जी अंगदान करने वालों के डोनर कार्ड बनाए जाएं और उन्हें यूनीक आइडेंटिफिकेशन नंबर दिया जाए। नेशनल लेवल पर इन लोगों को रजिस्टर किया जाए जिससे अन्य लोगों को भी प्रोत्साहन मिले। कमेटी ने हाईकोर्ट को अपनी सिफारिश में कहा कि अंगदान को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। ऐसे में स्वयंसेवी और धार्मिक संस्थाओं को इस मामले में साथ जोडक़र लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। रिपोर्ट में कहा गया कि पंजाब, हरियाणा व चंडीगढ़ के आईसीयू की सुविधा वाले हर अस्पताल में ब्रेन डेथ डिक्लेरेशन को जरूरी किया जाए। इससे रोगी के परिवार को समय मिल सकेगा कि वह चाहे तो अस्पताल में एडमिट पेशेंट के अंगदान कर सकें। यही नहीं, रोगी को आईसीयू में अस्पताल के महंगे खर्च पर रखने से भी बचा जा सकेगा जिन अस्पतालों में आईसीयू की सुविधा ज्यादा बेहतर नहीं है, उन्हें दूसरे अस्पतालों तक पहुंचने के लिए फ्री एक्सेस दिया जाए। इसके अलावा, प्रत्येक अस्पताल के आईसीयू के बाहर भी अंगदान के लिए हेल्पलाइन नंबर और सभी जरूरी नियमों को डिस्प्ले किया जाए। कमेटी ने रिपोर्ट में अंगदान के लिए प्रोत्साहित करने के लिए ट्रांसप्लांट को-ऑर्डिनेटर की नियुक्ति करने की सिफारिश भी की है।
इसमें कहा गया कि अंगदान बहुत ही संवेदनशील मामला है जहां परिवार की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। ऐसे में ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर अहम भूमिका निभा सकते हैं और लोगों को समझा सकते हैं कि इससे और लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। कमेटी ने ऑर्गन आर द स्टिंग के लिए अस्पतालों को एफिलिएटेड करने की सिफारिश भी की है। इस सारे मामले में पुलिस की भूमिका तय करने की जरूरत पर जोर दिया गया।