नई दिल्ली। सरकार कुछ और दवाओं पर बैन लगाने जा रही है। इससे पहले भी 300 से ज्यादा एफडीसी दवाओं पर रोक लगाई जा चुकी है। बताया जा रहा है कि वर्तमान में जांच के दायरे में आए कुल 1,600 एफडीसी दवाओं में से करीब 600 विटामिन हैं। बता दें कि चंद्रकांत कोकाटे समिति ने 2016 में एफडीसी श्रेणी के तहत आने वाली ‘तर्कहीन मिश्रण’ वाली दवाओं पर पाबंदी लगाने की सिफारिश की थी।
समिति ने जांच में पाया कि कुछ ऐसे मिश्रण वाली दवाएं हैं जिनका कोई उपचारात्मक महत्व नहीं है, वहीं कुछ अन्य की तार्किक तरीके से जांच कर अंतिम निर्णय लेने की जरूरत बताई थी। गौरतलब है कि पिछले चरण में सरकार ने 300 से ज्यादा दवाओं के मिश्रण को प्रतिबंधित किया था। हालांकि उनमें से कुछ को सुप्रीम कोर्ट ने राहत दे दी थी। औषधि तकनीकी परामर्श बोर्ड ने जुलाई में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया था। समिति का गठन 349 एफडीसी दवाओं के प्रभाव की जांच के लिए किया गया था। 343 दवाओं पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया था, वहीं बोर्ड ने 6 दवाओं के सीमित उपयोग का सुझाव दिया था।
सरकार के आदेश पर आपत्ति जताते हुए कंपनियों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था। कंपनियों का तर्क था कि कोर्ट ने दिसंबर 2017 के अपने आदेश में 329 दवाओं को आगे की समीक्षा के लिए डीटीएबी के पास भेजने का निर्देश दिया था। इस समीक्षा सूची में 1988 से पहले मंजूर 15 दवाएं शामिल नहीं थी। ऐसे में कोर्ट ने इन दवाओं की बिक्री पर रोक के केंद्र सरकार की अधिसूचना को दरकिनार कर दिया। एफडीसी का मतलब है फिक्स्ड डोज कांबिनेशन। ये दवाएं दो या ज्यादा दवाओं का कांबिनेशन होती हैं। अमेरिका और कई अन्य देशों में एफडीसी दवाओं की प्रचुरता पर रोक है। जितनी ज्यादा एफडीसी दवाएं भारत में बिकती हैं, उतनी शायद ही किसी विकसित देशों में इस्तेमाल होती हों। इन दवाओं के अनुपात और इनसे होने वाले असर पर काफी सवाल उठते रहे हैं।