चेन्नई। नैशनल कंपनी लॉ अपील ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने कर्ज में फंसी आर्किड फार्मा के लिए धानुका लैबोरेटरीज की समाधान को मंजूरी नहीं दी। धानुका की समाधान योजना को इस साल 25 जून को एनसीएलटी में मंजूर कर लिया था। इसके अलावा पीठ ने यह मामला दोबारा एनसीएलटी के पास भेजने का आदेश दिया। एनसीएलएटी का आदेश एकॉर्ड लाइफ (1,700 करोड़ रुपये की एकॉर्ड समूह का हिस्सा) की अपील पर दिया गया। एकॉर्ड समूह का मालिकाना हक द्रमुक नेता एस जगतरक्षकन के पास है, जिसकी समाधान योजना एनसीएलटी ने नामंजूर कर दी थी और धानुका की योजना को हरी झंडी दिखाई थी। आर्किड फार्मा को बचाने की यह दूसरी कोशिश है, जिस पर विभिन्न बैकों का 3,000 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है। पहले एनसीएलटी ने अमेरिकी कंपनी इंजेन कैपिटल की समाधान योजना को प्रभाव शून्य कर दिया था क्योंकि यह निवेशक कथित तौर पर नियम के मुताबिक रकम नहीं ला पाया। एनसीएलएटी के पीठ ने कहा, परिसमापन कीमत से कम वाली समाधान योजना को कानून के मुताबिक मंजूर नहीं किया जा सकता। आदेश में कहा गया है, दिवालिया संहिता की आधारभूत विशेषता यह है कि परिचालक लेनदार को परिसमापन कीमत से कम भुगतान नहीं किया जा सकता। एकॉर्ड ने आरोप लगाया कि धानुका की योजना में 570 करोड़ रुपये दिये जाने का प्रस्ताव है जबकि परिसमापन कीमत 1,309 करोड़ रुपये है। उसने अपील ट्रिब्यूनल से अनुरोध किया कि धानुका की योजना को मंजूर करने के एनसीएलटी के फैसले को दरकिनार किया जाए। इसके अलावा एनसीएलटी की तरफ से एकॉर्ड की योजना को नामंजूर करने के फैसले के खिलाफ भी उसने अपील की। एनसीएलएटी ने दूसरी अपील खारिज कर दी।