नई दिल्ली। अस्पतालों में मरीजों की जांच के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले अल्ट्रासाउंड उपकरण जैसे कलर डॉप्लर, इको कार्डियोग्राफी व सोनोग्राफी मशीनों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के सेक्शन 3 के तहत अब दवा में शामिल कर लिया गया है। निर्माता कंपनियों को खरीद-बिक्री का औषधि विभाग से लाइसेंस लेना पड़ेगा।
नए नियमों के तहत अब औषधि विभाग न केवल मॉनिटरिंग बल्कि किसी भी तरह की गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई करेगा। ड्रग टेक्निकल एडवायजरी बोर्ड नई दिल्ली के सदस्यों ने अल्ट्रासाउंड उपकरणों को दवा में शामिल करने की सिफारिश के बाद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने गजट नोटिफिकेशन जारी किया है। आंतरिक व बाह्य उपयोग के लिए इस्तेमाल किए जाने के कारण स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव डॉ. मनदीप. के. भंडारी की ओर से नियम एक नवंबर 2020 से प्रभावी हो जाएगा। गौरतलब है कि अल्ट्रासाउंड उपकरण जैसे सोनोग्राफी, कलर डॉप्लर व इको कार्डियोग्राफी मशीनों को हरेक जिले के सीएमएचओ ऑफिसर में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। औषधि विभाग सरकारी मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल, जिला, उपजिला एवं सेटेलाइट अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड उपकरणों पर नजर रखेगा। मरीज की किसी तरह की शिकायत मिलने पर कार्यवाही भी कर सकेगा। अस्पतालों को जांच किए जाने वाले मरीज का नाम, पता, मोबाइल नंबर, बीमारी का नाम, रिपोर्ट रखना अनवार्य।
बता दें कि प्रदेश के दवा कारोबार में नकली दवाओं की हिस्सेदारी के ग्राफ में लगातार इजाफा हो रहा है। एकमात्र सरकारी जयपुर की सेठी कॉलोनी स्थित ड्रग टेस्टिंग लैब की जांच में एंटीबायोटिक (सेफीक्सिम एंड लेक्टिक एसीड बेसीलस) सेफीक्सिम शून्य घटक पाया गया है। एसएमएस अस्पताल के मेडिसन के डॉ.पुनीत सक्सेना का कहना है कि सेफीक्सिम शून्य घटक पाए जाने पर दवाएं मरीजों पर बेअसर रहेगी। ड्रग कंट्रोलर राजाराम शर्मा ने निर्माता कंपनी हरिद्वार की एमजी फार्मा की सेफीक्सिम एंड लेक्टिक एसीड बेसीलस टेबलेट ( बैच नंबर आईजीटीबी-2020, एक्सपायरी डेट नवंबर -2019) के संबंधित बैच नंबर का औषधि नियंत्रण अधिकारियों को ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत स्टॉक जब्त कर कार्यवाही के निर्देश दिए है। निर्माता कंपनी जयपुर के मालवीय नगर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित जावा फार्मास्यूटिकल की क्लोरेंफेनीकॉल आई ओइंटमेंट ( बैच नंबर 6448, एक्सपायरी डेट अगस्त -2020) भी जांच में फेल हुई है। भीलवाड़ा के गुलाबपुरा स्थित ममता स्पिनर्स की एब्सोरबेंट कॉटन ( बैच नंबर 845, एक्सपायरी डेट अगस्त -2020) भी लैब की जांच में मानको पर खरी नहीं उतरी है।
सीएमएचओ के साथ औषधि विभाग में निर्माता कंपनियों को मशीनों का लाइसेंस लेना पड़ेगा। जांच की मशीनों के लिए अस्पताल प्रशासन को सूचना देनी होगी। राजस्थान समेत देशभर में सोनोग्राफी मशीनों को पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत भी पंजीकरण करवाना पड़ता है।