अम्बाला। केंद्र सरकार की अधिसूचना के अनुसार इस पहली जुलाई से देशभर में कोई भी रिटेल दवा विक्रेता किसी भी चिकित्सक की परामर्श पर्ची पर ह्यूमन या वेटनरी ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन उपभोक्ता को उपलब्ध नहीं करवा पाएगा। थोक दवा विक्रेता के माध्यम से मात्र नर्सिंग होम या चिकित्सकों को उनके ऑर्डर चेक पेमेंट की छायाप्रति का रिकॉर्ड अपने पास रखना होगा। ऑक्सीटोसिन की उपलब्धता केवल प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत चलाए जा रहे जन औषधि केंद्रों पर रहेगी। किसी भी चिकित्सक को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन वेटनरी या ह्यूमन आवश्यकता अनुसार उपलब्ध करवा सकेंगे। ऐसे में सरकार की आम रिटेलर के प्रति दोगली नीति से रिटेल लॉबी स्तब्ध एवं स्वयं को नए-नए कानूनी पेचीदगियों के तहत बंधा हुआ महसूस करने लगे हैं।
एक विशेष परिस्थिति में रोगी को ऑक्सीटोसिन इंजेक्शन की आवश्यकता रहती है। उसके साथ कुछ अन्य दवाइयां भी चिकित्सक द्वारा सुझाई जाती हैं। ऐसे में जहां रोगी को एक अति आवश्यक इंजेक्शन ना मिल पाने के कारण वे अन्य दवाइयां भी रिटेलर से लेने में असमर्थता व्यक्त कर रिटेलर व्यापार-व्यवसाय के वजूद पर उंगलियां उठाने लगेंगे, वहीं रिटेलरों को आर्थिक नुकसान एवं रोगी को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। इस बारे कुछ दवा निर्माता भी अपने फरमान सुनाने लगे हैं। 1 जुलाई से वह सरकारी आदेशों के तहत ऑक्सीटोसिन ह्यूमन या वेटरनरी इस्तेमाल के लिए एक निश्चित मात्रा में सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ही थोक दवा विक्रेता को उपलब्ध करवाएंगे। थोक दवा विक्रेता को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह दवाइयां मात्र हॉस्पिटल को सीधे सप्लाई करेंगे न कि रिटेलर को ऐसे में कस्बा, स्थानीय, जिला राज्य व राष्ट्रीय केमिस्ट एसोसिएशन के संगठन मौन धारण किए हुए हैं।