फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, जींद, कैथल, पानीपत,सोनीपत में बढ़े हेपेटाइटिस के रोगी
पीजीआई रोहतक के चिकित्सक ने की 27 हजार रोगियों की जांच
रोहतक। युवाओं में टैटू गुदवाने का शौक उन्हें जाने-अनजाने में हेपेटाइटिस सी जैसी घातक बीमारी की तरफ धकेल रहा है। हरियाणा में 20 से 40 साल के युवाओं में हेपेटाइटिस सी के मामले सबसे ज्यादा पाए गए हैं। इसका मुख्य कारण सुइयों का बार-बार इस्तेमाल करना, टैटू गुदवाना, असुरक्षित सर्जिकल पद्धति अपनाने और जांच कराए बिना खून चढ़ाना है। हेपेटाइटिस सी एक रक्त जनित वायरस है।
स्थानीय पोस्ट-ग्रैजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रोहतक के एसोसिएट प्रोफेसर और मेडिकल गैस्ट्रोइंटरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ.प्रवीण मल्होत्रा के अनुसार नियमित रक्त जांच से पता चला है कि पंजाब की सीमा से लगे क्षेत्रों में राज्य के अन्य हिस्सों के मुकाबले हेपेटाइटिस-सी के ज्यादा मामले हैं।
हरियाणा के फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, जींद, नरवाना, कैथल, पानीपत, असंध, समालखा और सोनीपत जैसे क्षेत्रों में अन्य जिलों के मुकाबले हेपेटाइटिस सी के ज्यादा मामले देखे गए हैं। हरियाणा में डॉक्टरों ने प्रतिदिन औसतन 20 ऐसे नए मरीज आने का दावा किया है। यह एक वायरल संक्रमण है जिसका शुरूआती दौर में पता चल जाए तो आसानी से इलाज किया जा सकता है। लेकिन यदि यह शरीर में कुछ समय तक फैलता रह जाए तो इससे लीवर क्षतिग्रस्त हो सकता है।
डॉ.प्रवीण मल्होत्रा के अनुसार सिरोसिस हेपेटाइटिस सी हरियाणा की एक बड़ी समस्या बन चुका है। राज्य में इस रोग का प्रकोप 20 से 40 वर्ष के युवकों तक ही सीमित है। इसका मतलब यह हुआ कि हम कम उम्र के मरीजों से ही रूबरू हो रहे हैं और रोग के शुरूआती चरण में ही उनका इलाज कर रहे हैं जिससे उन्हें सिरोसिस स्टेज तक पहुंचने से बचाया जा रहा है। इनमें से 90 प्रतिशत मरीज नॉन-सिरोटिक हैं यानी सिर्फ 10 प्रतिशत मरीज ही सिरोटिक हैं।
कुछ अन्य कारणों में इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति के टूथब्रश और रेजर जैसे व्यक्तिगत इस्तेमाल वाली चीजों का साझा करना शामिल है। यह वायरस असुरक्षित यौन संबंधों के जरिये भी फैलता है। इससे जुड़ा एक और बड़ा खतरा यह है कि हेपेटाइटिस ए और बी की तरह हेपेटाइटिस सी की रोकथाम का कोई टीका नहीं बना है जो पीडि़तों को क्रोनिक लीवर रोग और लीवर कैंसर तक का शिकार बना सकता है।
डॉ.मल्होत्रा के अनुसार पिछले पांच वर्षों के दौरान हम 5,000 मरीजों का इलाज पूरा कर चुके हैं और फिलहाल 1000 मरीजों को एंटी-वायरल उपचार दिया जा रहा है। डॉ.मल्होत्रा ने बताया कि संस्थान में हरियाणा के विभिन्न हिस्सों से आए हुए 27,000 लोगों की जांच कराई जिससे ज्यादा मामले वाले जिलों की पहचान करने में सक्षम हो पाए। हरियाणा के फतेहाबाद, सिरसा, हिसार, जींद, नरवाना, कैथल, पानीपत, असंध, समालखा और सोनीपत आदि में हेपेटाइटिस के रोगी ज्यदा मिले हैं। युवकों में भी हेपेटाइटिस सी संक्रमण की प्रतिशत दर सर्वाधिक पाई गई है।
मरीजों में नहीं मिलते बीमारी के लक्षण
डॉ.मल्होत्रा के अनुसार शुरुआती चरण में इस रोग का कोई लक्षण स्पष्ट नहीं होता है और 75 प्रतिशत मरीजों में तो कोई लक्षण ही नहीं उभरता। ज्यादातर मरीजों की पहचान अचानक कहीं लगे जांच शिविरों, रक्तदान शिविरों या सर्जरी के लिए प्री-एनेस्थेटिक प्रक्रियाओं के दौरान हो पाती है। इस प्रकार हमें इस मामले की बहुलता वाले क्षेत्रों में जांच की अधिक ठोस प्रणाली विकसित करने की जरूरत है।