नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश के तमाम बड़े अस्पतालों में कैशलेस भुगतान के लिए स्वाइप मशीने लगाने का दावा किया है। कहा जा रहा है कि राजधानी दिल्ली के एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिग मेडिकल कॉलेज आदि अस्पतालों में कैशलेस इलाज सुविधा दी गई है। मरीजों को कोई परेशानी नहीं आएगी। जब यह घोषणा हुई तो उसके कुछ समय बाद ही प्रमुख टी.वी चैनल की लाइव रिपोर्ट में मरीज और उनके तीमारदारों का नो कैश का दर्द सरकारी दावों को झुठला रहा था। पीएम मोदी का चुनाव क्षेत्र वाराणसी हो या विकास मॉडल गुजरात।
देश की राजधानी दिल्ली हो या मायानगरी मुंबई, सब जगह बड़े सरकारी अस्पतालों में मरीज और उनके सहायक बिना कैश मारे-मारे फिर रहें हैं, क्योंकि कहीं कोई स्वाईप मनी सिस्टम नहीं है। मरीजों ने अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि स्वाइप मशीनों की बात छोडि़ए साहब, अस्पताल वाले दो हजार का नया नोट भी नहीं ले रहे हैं। साफ कह देते हैं कि इलाज कराना है तो खुल्ले लेकर आओ, वरना जाओ। जैसे तैसे बैंक में नंबर आता है तो 2000 के नोट मिलते हैं, तो हम खुल्ले कहां से लाए।
दो नंबर का काम करने वालों को खुल्ले आसानी से मिल रहे हैं। ये लोग 2000 के बदले 1800-1900 देने की बात कहते हैं। बीमारी में मजबूर होकर कई बार अपने ही पैसे की कम कीमत लेनी पड़ती है। अंबेडकर अस्पताल की निदेशक डॉ. पुनीता महाजन का कहना है कि उनके यहां स्वाइप मशीन की ज्यादा जरूरत नहीं है। सिर्फ लैप्रोस्कॉपी सर्जरी के लिए मरीजों को कुछ शुल्क भुगतान करना पड़ता है।