बालोद (छग)। जिले के गांवों में किरयाना दुकानों और पान ठेलों पर नशीली दवाइयां खुलेआम बेची जा रही हैं। यहां खांसी व नींद की दवा आसानी से मिलने पर किशोरवय लडक़े इनका नशे के रूप में इस्तेमाल करने लगे हैं। बीते दिनों पुलिस की यहां छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में नशीली दवा के रैपर बरामद हुए थे। पुलिस ने शहर के बूढ़ापारा निवासी युवक विश्वपति गोराई को उसके घर से नशीली दवा बेचते हुए गिरफ्तार किया था। आरोपी के घर से स्वारमा प्राक्सीवान की 1752 नग कैप्सूल बरामद कर जेल भेजा गया था। बताया गया कि आरोपी विश्वपति गोराई नशीली दवाओं का कारोबार कई दिनों से कर रहा था। वहीं, उसका पिता जीरुमल गोराई नगर के रामदेव चौक के समीप चांदसी दवाखाना का संचालन कर रहा है। उनके पास ना कोई डिग्री है और न ही स्वास्थ्य विभाग से कोई रजिस्टेशन। इसके बावजूद वह अपना मेडिकल स्टोर चला रहे हैं। औषधि विभाग  इस ओर आंखें मूंदे बैठा है। एल्प्रेक्स ट्राइका, एटीवान, लोराजीपाम, रिवोट्रील, क्लोनाजीपाम, प्राक्सीवान ऐसी दवाएं हैं, जिनका उपयोग नशे के लिए किया जाने लगा है। इन दवाओं को ज्यादातर नींद ना आना, दर्द और तनाव दूर करने मरीज को दिया जाता है। लोग इन दवाओं को अपनी सहूलियत के अनुसार लेकर नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे है। ऐसे युवाओं की संख्या बढ़ती ही जा रही हैं। डॉ. प्रदीप जैन के अनुसार इन दवाइयों का साइड इफेक्ट्स इतना है कि इसका सेवन करने के बाद इंसान ओवर कॅान्फिडेंस में चला जाता है। अल्कोहल के मुकाबले ये नशीली दवाइयां ज्यादा नुकसानदायक है।