Generic Medicines: निजी अस्पतालों के साथ-साथ सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर्स भी मरीजों को ब्रांडेड दवाइयां लिखकर दे देते हैं। बाहर की महंगी दवाइयां लिखने में डॉक्टरों को मोटा मुनाफा होता है मेडिकल स्टोर्स वालों की ओर से डॉक्टर्स को कमीशन मिलता है। लेकिन इन महंगी दवाइयों के कारण गरीब मरीजों को काफी परेशानी होती है। अब केंद्र ने सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि मरीजों को जेनेरिक दवाइयां (Generic Medicines) ही लिखकर दी जायें। अगर डॉक्टरों ने ऐसा नहीं किया तो उनके खिलाफ कार्रवाही की जायेगी।
सरकारी अस्पतालों में मेडिकल रीप्रजेंटेटिव आने पर रोक (Generic Medicines)
केंद्र सरकार ने सरकारी अस्पतालों के लिए निर्देश जारी किया है। इस निर्देश के अनुसार, सरकारी अस्पतालों में मरीजों को केवल जेनेरिक दवाइयां ही लिखकर दी जायेगी। यदि कोई डॉक्टर सरकार के इस आदेश का पालन नहीं करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाही की जायेगी। केंद्र सरकार के अस्पतालों में इस आदेश का पालन हो रहा है या नहीं इसके लिए निरीक्षण किया जायेगा। एक विशेष सिस्टम के जरिए इसकी जांच की जायेगी।
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केंद्र सरकार ने डॉक्टरों को यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि अस्पतालों में मेडिकल रीप्रजेंटेटिव (दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों) के आने पर रोक लगाई जायें।
सभी सरकारी अस्पतालों में सभी बीमारियों के विभागाध्यक्षों के द्वारा नियम का पालन किया जायेगा
स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक डॉ. अतुल गोयल ने 12 मई को जारी एक आदेश में कहा, उन्होंने कहा कि ये नियम पहले भी लागू हो चुका है लेकिन इसके बावजूद, यह देखा गया है कि कुछ मामलों में (रेजीडेंट सहित) चिकित्सक अब भी ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। इस आदेश के अनुसार, सभी संस्थानों के प्रमुखों से कहा गया है कि वे अपने अधीन काम करने वाले डॉक्टरों के द्वारा इसका सख्ती से पालन सुनिश्चित करें। इसमें कहा गया है कि आदेश का पालन नहीं करने पर कार्रवाई की जायेगी। सरकार के इन निर्देशों का पालन सभी सरकारी अस्पतालों में सभी बीमारियों के विभागाध्यक्षों द्वारा पालन किया जाए।