भागलपुर (बिहार)। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन दोफाड़ हो गई है। स्थानीय कई दवा दुकानदारों ने आमसभा कर नई एसोसिएशन का गठन कर लिया। नई कमेटी में पवन कुमार साह अध्यक्ष चुने गए हैं। वहीं, सुरेंद्र बहादुर सिंह उपाध्यक्ष व शंकर घोष को महासचिव चुना गया। इनके अलावा, विनय शंकर ठाकुर संयुक्त सचिव, लक्ष्मण प्रसाद गुप्ता कोषाध्यक्ष और विजय कुमार गुप्ता संगठन बनाए गए हैं। बैठक में वशिष्ठ कुमार सिंह, राजेश कुमार मिश्रा, दीपक घोष समेत जिलेभर के सभी प्रखंडों से आए दवा दुकानदार शामिल हुए। इस दौरान दुकानदारों ने पहले से चल रहे एसोसिएशन के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप जड़े।
विनय शंकर ठाकुर समेत अन्य दुकानदारों ने आरोप लगाया कि तीन साल में घनश्यामदास कोटरी वाले संगठन ने कोई मदद नहीं की। जीएसटी लागू होने पर ड्रग एक्ट में हुए बदलाव की जानकारी नहीं दी। इससे ड्रग इंस्पेक्टर दुकान आते रहे और लाइसेंस निलंबित कर कार्रवाई करते रहे। दवा कंपनियों की एक्सपायर दवा होने के अलावा ब्रेकेज के सेटलमेंट भी नहीं हुए। सुरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि तीन साल में 270 दवा दुकानदारों के लाइसेंस निलंबित हुए। पांच के लाइसेंस रद्द कर दिए गए। एक बार भी संगठन ने आवाज नहीं उठाई।
दुकानदारों को सहयोग नहीं मिला तो दोषी कौन है? भागलपुर बिहार में दूसरे नंबर पर था, अब अंतिम पायदान पर है। संचालकों में संचालन की कमी है। इसलिए शक्तिशाली संगठन जरूरी है। वहीं, कहलगांव के दुकानदार अनुज कुमार ने कहा कि हमेशा कार्रवाई की तलवार लटकी रहती है। कोई समाधान नहीं करने वाला है। दीपक घोष ने कहा कि विभाग से ब्रोकरी हो रही है। शिवनारायणपुर के राजेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि 40 साल से दुकान चला रहे हैं, ड्रग इंस्पेक्टर आते हैं। 15 हजार मांगते हैं। कम करने के नाम पर 2 हजार रुपए छूट दिया जाता है। यूनियन का कोई रोल ही नहीं है। सबौर के रविशंकर ने कहा कि घनश्यामदास वाले एसोसिएशन से परेशानी ही हुई। केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के सचिव प्रशांतलाल ठाकुर का कहना है कि नकली दवा बेचने वालों का यूनियन साथ नहीं देती है। ये सब इसी बात का विरोध कर रहे है। हम जल्द ही चुनाव करवाएंगे।