लुधियाना। पंजाब सरकार की तरफ से नशे के खिलाफ शुरू मुहिम के बाद चिट्टे और नशीले पाउडर की सप्लाई बेशक घटती जा रही है परंतु अब नशेड़ियों ने नशे की पूर्ति के लिए मेडिकल नशे की तरफ मुंह कर लिया है। जानलेवा बीमारी में इस्तेमाल की जाने वाली दर्द निरोधक दवाएं कुछ मेडिकल स्टोरों से नशेड़ी ब्लैक में खरीद कर खुद को मौत के मुंह में धकेल रहे हैं। जानकारी अनुसार नशेडिय़ों की तरफ से दर्द निरोधक दवा टिपैंटाडोल जोकि कैंसर का मरीज दर्द को रोकने के लिए लेता है परंतु अब नशेड़ी इसे खरीद कर प्रतिदिन कई-कई गोलियां खा रहे हैं। इसके अलावा ट्रामाडोल भी आजकल नशेडिय़ों की पहली पसंद बनी हुई है क्योंकि इस दवा का पत्ता सस्ता है। पहले-पहले यह पत्ता 50 रुपये में मिल जाता था परंतु अब हालात यह हैं कि नशेडिय़ों की तरफ से बढ़ती मांग के मद्देनजर यह पत्ता ब्लैक में 200 से 250 रुपये तक बिकने लगा है। गांवों में क्लीनिक खोल कर बैठे झोलाछाप डॉक्टर भी यह दवाएं नशेडिय़ों को महंगे भाव पर बेच कर काली कमाई के साथ जिंदगी तबाह करने में योगदान दे रहे हैं। ड्रग इंस्पेक्टर संदीप कौशिक ने कहा कि समय-समय पर मेडिकल स्टोरों की जांच की जाती है और सख्त निर्देश दिए गए हैं कि डॉक्टर की पर्ची के बिना कोई भी दवा न बेची जाए। यदि कोई मेडिकल स्टोर दवाओं को नशे के तौर पर बेचता मिला तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।