एक ही जगह पर रहने और एक जैसी डायट लेने के बाद भी एक व्यक्ति को कैंसर हो जाता है जबकि दूसरे को नहीं, इसकी वजह जानने के लिए वैज्ञानिकों ने जो शोध किया उसमें सामने आया है कि किसी व्यक्ति में कैंसर के डिवेलप होने का कारण उसके डीएनए के वैरिएशन से संबंधित होता है। यह डीएनए प्रोटीन को कोड नहीं करता है और इसे ‘जंक डीएनए’ के रूप में जाना जाता है।

शोध में सामने आया कि जिन लोगों में कैंसर की बीमारी जीन्स के चलते आती है, उनमें इन जीन्स को कंट्रोल करने वाले डीनए में हुए बदलाव पर इस बीमारी की गंभीरता निर्भर करती है। यानी डीएनए में हुए बदलाव के आधार पर यह बीमारी अधिक घातक भी हो सकती है और इसके होने की संभावना नगण्य भी हो सकती है।

स्टडी के ऑर्थर जॉन क्वारेकनबुश का कहना है कि हम इस बात को देखकर हैरान हैं कि छोट-छोटे जेनेटिक वेरिएशंस कैंसर का रिस्क कैरी करनेवाले जीन्स पर कितने व्यापक रूप से प्रभाव डालते हैं, हमें उम्मीद है कि यह रिसर्च आगे चलकर कैंसर के कारण होनेवाली लोगों की मौत के खतरे को दूर करने के काम में मदद करेगी।

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जीन्स में बदलाव और डीएनए

इस रिसर्च को दौरान शोधकर्ताओं ने नॉन कोडिंग डीएनए स्ट्रेचेज में 846 जेनेटिक बदलाव देखे। पूर्व में हुई स्टडीज में इन बदलवों को कैंसर के रिस्क को प्रभावित करनेवाला माना गया था। शोध टीम ने अनुभव किया कि इस तरह के बदलाव का कारण सिंगल न्यूक्लियोटाइड पॉलिमोरफिज़म (SNP)और कुछ खास जीन्स के बीच किसी तरह का कोरिलेशन होना चाहिए। इस विषय पर अभी आगे और शोध किया जाना बाकी है। यह स्टडी हाल ही ब्रिटिश जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित हुई।