• गाय के एफसीएम की तुलना में आधी से भी कम कीमत में मिलेगा।
  • एफसीएम के लिए गर्भवती गाय का नहीं करवाना पड़ेगा अबॉर्शन। 
चंडीगढ़। कैंसर की रिसर्च में अब मुर्गी के अंडे से बनने वाला सीरम इस्तेमाल में आएगा। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. परीक्षित बंसल ने लैब में इसका परीक्षण कर सफलता पाई है। डॉ. बंसल ने बायोटेक इग्निशन ग्रांट (बीआईजी) के लिए अप्लाई किया है। इसकी मदद से हर तरह की कैंसर सेल लाइन पर इसको टेस्ट करेंगे। वह जल्द ही इसे बाजार में उतारने जा रहे हैं। यह वैज्ञानिकों को एफसीएम के मुकाबले आधी से भी कम कीमत में मिल सकेगा। ज्ञातव्य है कि किसी भी एंटी कैंसर ड्रग को डेवलप करने के लिए ‘इन विट्रो टेस्ट’ करना होता है। इसमें कैंसर की दवा का असर जांचने के लिए पहले कैंसर सेल को डेवलप करते है। इस कैंसर सेल लाइन पर एंटी कैंसर ड्रग डाली जाती है। यदि कैंसर सेल मर जाते हैं तो दवा असरदार है। इस चेन को बनाने के लिए एफसीएम का इस्तेमाल होता है। एफसीएम गर्भवती गाय के अबॉर्शन के जरिए मिलता है। इससे मिलने वाले ब्लड में से रेड हिस्से को अलग कर व्हाइट हिस्से से सीरम बनता है। आने वाले समय में एफसीएम के लिए गायों का गर्भपात कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
ऐसे आया आइडिया
डॉ. बंसल ने एक दिन घोंसले में कबूतर के अंडे से बच्चा निकलते हुए देखा। अंडे में सीरम से ही मिलता-जुलता पदार्थ था। उस समय वह नाइपर मोहाली में वैज्ञानिक थे। यहीं से उन्हें आइडिया मिला कि क्यों न इससे कैंसर चेन डेवलप की जाए। उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी की लैब में मुर्गी के अंडे से सीरम तैयार कर इसे रिसर्च के लिए इस्तेमाल किया। कामयाबी मिलने पर उन्होंने इसके लिए पेटेंट ले लिया।