अहमदाबाद। देश में कोरोनावायरस की वैक्सीन का जानवरों पर प्रयोग शुरू हो गया है। नतीजे आने में 4 से 6 महीने का वक्त लगेगा। गुजरात की जायडस कैडिला कंपनी यह वैक्सीन बना रही है। इसी कंपनी ने 2010 में देश में स्वाइन फ्लू की सबसे पहली वैक्सीन तैयार की थी। मार्च में ही कंपनी ने सूचना दी थी कि हम कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बना रहे हैं। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर शर्विल पटेल का कहना है कि हम कोरोना की वैक्सीन पर काम कर रहे हैं। वैक्सीन का ट्रायल समय लेने वाली प्रक्रिया होती है। हमें इसमें कामयाबी मिलने की उम्मीद है।
मलेरिया के इलाज में असरदार मानी जाने वाली हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन का भारत में सबसे ज्यादा उत्पादन इप्का लैबोरेटरीज और जायडस कैडिला करती है। फार्मा सेक्टर के जानकारों के अनुसार, भारत में हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन के कुल उत्पादन में इन दोनों कंपनियों की भागीदारी 80 फीसदी से भी ज्यादा है। जायडस कैडिला हर महीने 20 टन हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन बना सकती है। सरकार ने हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन समेत 28 दवाइयों के निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ये प्रतिबंध हटाने के संदर्भ में बात की थी, ताकि अमेरिका को पर्याप्त दवाइयां मिल सकें। चीन में कोरोनावायरस के चलते भारतीय फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्री चिंतित है। दरअसल, कई कंपनियां कच्चे माल के लिए चीन पर बहुत हद तक निर्भर हैं। हालांकि, जायडस कैडिला के मैनेजिंग डायरेक्टर शर्विल पटेल बताते हैं कि हम चीन पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं हैं। आमतौर पर हम 60 से 90 दिन की इन्वेंट्री के साथ चलते हैं। कोरोना के कारण हमारे लिए सप्लाई में कोई मुश्किल पेश नहीं आएगी। सरकार ने दवा कंपनियों को हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन के उत्पादन और इसकी सप्लाई सुनिश्चित करने को कहा है। सरकार से हाईड्रोक्सीक्लोरोक्विन की 10 करोड़ टैबलेट बनाने का ऑर्डर जायडस और इप्का लैबोरेटरीज जैसी कंपनियों को दिया है। इतनी टैबलेट 50 से 60 लाख कोरोना मरीजों के इलाज के लिए काफी है। इसके अलावा होने वाला उत्पादन अमेरिका सहित अन्य देशों में निर्यात किया जा सकता है।