Indore: बीते महीने ही मध्य अफ्रीकी देश कैमरुन में खांसी की दवाई पीने (कफ सिरप) पीने से 12 बच्चों की मौत हो गई। इन कफ सिरप के रैपर पर इंदौर फार्मा कंपनी का पता दिया हुआ था। रैपर के आधार पर गुरुवार को दिल्ली से केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के अधिकारियों का दल इंदौर (Indore) जांच करने के लिए पहुंचा।

अधिकारियों ने सांवेर रोड की दवा फैक्ट्री से खांसी की दवा (कफ सिरप) के सैंपल लिए। साथ ही दस्तावेजों और निर्यात के रिकॉर्ड की भी जांच की।

नेचर कोल्ड के रैपर के आधार पर दिल्ली की टीम ने इंदौर (Indore) में जांच की

खांसी की एक दवा नेचर कोल्ड के रैपर के आधार पर दिल्ली की टीम ने इंदौर में पहुंचकर जांच की। दरअसल  पिछले महीने कैमरून में खांसी की दवा देने के बाद 12 बच्चों की मौत की बात सामने आई थी। इसके बाद कैमरून और अन्य अफ्रीकी देशों ने खांसी की दवा नेचर कोल्ड को प्रतिबंधित कर दिया था। कैमरून में अधिकारियों ने दवा के रैपर जारी किए थे, जिस पर ब्रिटेन की एक मार्केटिंग कंपनी फारकेन का लेबल लगा था।

भारत से दवा का निर्माण कर कैमरुन में अवैध आपूर्ति करने की शंका जाहिर की थी। इंदौर की दवा कंपनियां भी इस कंपनी के लिए दवा का निर्माण कर चुकी है। इसी बुनियाद पर  बुधवार को पहले सांवेर रोड क्षेत्र की दवा फैक्ट्रियों में भोपाल से खाद्य औषधि प्रशासन की टीमें जांच के लिए पहुंचीं। इसके बाद गुरुवार सुबह से केंद्र की टीमों ने इंदौर में जांच की।

केंद्र सरकार सख्ती के साथ नियम बदलने की तैयारी में 

लगातार भारतीय दवा कंपनियों पर आरोप लग रहे हैं कि इनका सेवन करने से दूसरे देशों में लोगों की मौत  हुई है। बीते साल गाम्बिया में भारतीय कफ सिरप पीने से 300  बच्चों की मौत हो गई थी और अब आरोप है कि भारतीय कफ सिरप के सेवन से कैमरुन में 12 बच्चों की मौत हो गई। इन विवादों के बाद अब केंद्र सरकार सख्ती के साथ नियमों में बदलाव की तैयारी में जुटी है। दवा उद्योग के सूत्रों के अनुसार औषधि निर्माण की अनुमति का अधिकार राज्य के खाद्य और औषधि प्रशासन (एफडीए) से छीनने की तैयारी चल रही है। जल्द ही दवा निर्माण की अनुमति सिर्फ सीडीएससीओ से ही जारी होगी।

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