झांसी। कोरोना काल में आयुर्वेद की मांग तेजी से बढ़ी है। बता दें कि कोरोना के दौर में बढ़ती खपत के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाओं के दामों में भी 20 फीसदी तक का इजाफा हो गया है। आयुर्वेदिक दवाओं के विक्रेता नरेंद्र सिंह ने बताया कि गिलोय वटी में 15, तुलसी में 18, हरिद्रा में 23, च्यवनप्राश में 30, एलोवेरा में 20, आंवला जूस में 15 रुपये तक तक इजाफा हुआ है। इसके अलावा भी अन्य आयुर्वेदिक औषधियों के दामों में भी बढ़ोतरी हुई है। दरअसल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए उपयोग किए आयुर्वेदिक पदार्थों की वजह से झांसी-ललितपुर और बुंदेलखंड की कंपनियों के कारोबार में 25 फीसदी तक उछाल आया है।

झांसी-ललितपुर समेत बुंदेलखंड में औषधियों का भंडार है, ऐसे में यहां से देशभर में जड़ी-बूटियां और इनसे निर्मित दवाएं व चूर्ण सप्लाई होता है। झांसी में ही पिछले दस महीने में 500 करोड़ रुपये से ज्यादा की औषधियों, चूर्ण, दवाओं और च्यवनप्राश की बिक्री हो चुकी है, जो पहले 400 करोड़ के आसपास रहती थी। आयुर्वेद औषधियां, च्यवनप्राश आदि तैयार करने के लिए झांसी में दो और उरई में एक कंपनी चल रही है। एक बड़ी कंपनी के अधिकारी ने बताया कि इस साल झांसी की दोनों कंपनियों को मिलकर लगभग 480 करोड़ व अन्य का करीब 20 करोड़ कारोबार रहा है। गौरतलब है कि शर्मायु पार्टनर – अभिनव गौड़ ने बताया कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान तीन महीने यातायात पूरी तरह बंद था। थोक व्यापार भी बंद था। कच्चा माल भी आना बंद हो गया था। इन विपरीत परिस्थितियों में भी आयुर्वेदिक दवाओं, च्यवनप्राश आदि की दुकान-दुकान और डोर-टू-डोर सप्लाई की गई।

इसके बावजूद आयुर्वेद का कारोबार 25 फीसदी बढ़ा है। लोगों का आयुर्वेद के प्रति विश्वास बढ़ा है। आयुर्वेदिक औषधियों के कारण लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने में बहुत मदद भी मिली, क्योंकि शुरूआत में न वैक्सीन आई थी और न ही कोई दवा। कोरोना वायरस के पहलेे गिने-चुने लोगों को छोड़ दें तो ज्यादातर इम्यून सिस्टम के बारे में सोचते तक नहीं थे। फास्ट फूड के सेवन के बढ़ते चलन की वजह से खासकर युवा पीढ़ी तो इस ओर बिल्कुल ध्यान नहीं देती थी। इस महामारी ने हर वर्ग, हर उम्र के लोगों को प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने के बारे में सोचने पर न सिर्फ मजबूर कर दिया है, बल्कि तमाम आयुर्वेदिक पदार्थों, दवाओं का सेवन भी लोग करने लगे। हाल ये रहा कि साल भर का च्यवनप्राश दो महीने में ही बिक गया। कच्चे माल की भी कमी हो गई। कोरोना काल में सबसे ज्यादा झांसी से असम, बंगाल, उड़ीसा, हैदराबाद, बैंगलॉर, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में गिलोय, अूणु तेल, च्यवनप्राश, आंवला, एलोवेरा जूस की सप्लाई हुई। झांसी समेत बुंदेलखंड में आयुर्वेदिक की तीन कंपनियां हैं। सभी को मिलाकर इस साल का कारोबार 500 करोड़ रहा, जो कि 25 फीसदी अधिक है।