पानीपत। कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही दवा रेमडेसिविर के बाद अब फैबिफ्लू टैबलेट, टोसिलिजुमैब और एनोक्सैरिन दवा (इंजेक्शन) भी कालाबाजारी की भेंट चढ़ गई है। खुदरा दुकानों से स्टाक गायब है, स्टाकिस्ट्स भी हाथ खड़े कर रहे हैं। महामारी के दौरान बाजार से गायब होती आवश्यक मेडिसिन को लेकर खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन चौकस हो गया है।

रेमडेसिविर एंटी वायरल दवा है। इसकी कालाबाजारी बढ़ने पर औषधि प्रशासन ने स्टाकिस्ट्स व दवा कंपनियों को कड़े आदेश दिए कि डेडिकेडेट कोविड अस्पतालों को ही सप्लाई दी जाए। स्टाकिस्ट्स और अस्पतालों में खुले दवा स्टोर्स से एक-एक इंजेक्शन का हिसाब लिया जाएगा। फैबिफ्लू टेबलेट (एंटी वायरल), टोसिलिजुमैब (एंटीबॉडी बढ़ाने के काम आती है) और एनोक्सैरिन दवा(खून को पतला करने के लिए इंजेक्शन) भी बाजार से गायब है। कोविड-19 के आशंकित मरीज दवा दुकानों पर डाक्टर का पर्चा लेकर पहुंच रहे हैं, मेडिसिन नहीं मिल रही है। डेडिकेडेट कोविड अस्पतालों में खुले मेडिकल स्टोर्स पर भी इन मेडिसिन का अभाव है। कुछ अन्य मेडिसिन के रेट एकाएक 20 से 50 फीसद तक बढ़ गए हैं।

जिला औषधि नियंत्रक विजया राजे ने बताया कि फैबिफ्लू कमी की शिकायत मिली है।शहर में चार स्टाकिस्ट्स हैं। सभी को मैसेज दिया जा चुका है कि खुदरा बाजार में दवा न बेचें। पहले कोविड अस्पतालों की पूर्ति करें, ताकि जिसे जरूरी है उसका इलाज हो सके। विजया राजे ने बताया कि फैबिफ्लू आउट आफ स्टाक होने का कारण कालाबाजारी हो सकता है। सामान्य लोगों ने इसे खरीदकर घर में रख लिया है। बुखार-खांसी होने पर, डाक्टर के परामर्श बिना भी दवा ले रहे हैं। इसीलिए, खुदरा बाजार में इस दवा की सप्लाई बंद की गई है। इस दवा के प्रतिकूल असर जैसे यूरिक एसिड बढ़ना, दस्त और मनोविकार भी है। इसलिए डाक्टर के परामर्श बिना दवा का सेवन न करें। बिना मुनाफा बेचने के लिए तैयार :

पानीपत केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स एसोसिएशन के जिला प्रधान करतार सिंह मक्कड़ ने कहा कि कोरोना महामारी काल में हम सरकार के साथ हैं। जिला में कुछ ऐसे दवा विक्रेता हैं, संक्रमितों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा रेमडेसिविर, फैबिफ्लू टैबलेट, टोसिलिजुमैब व एनोक्सैरिन को बिना मुनाफा बिक्री को तैयार हैं। चुनिदा स्टोर्स पर होने से कालाबाजारी बढ़ेगी।