बद्दी (सोलन)। देश भर में कोरोना के कारण फार्मा सेक्टर पर संकट गहराता जा रहा है। एक तरफ बाजार से दवा गायब है तो वहीं दूसरी तरफ कच्चे माल के दाम भी दोगुने होते जा रहे है। बता दें कि कच्चे माल की कमी के चलते हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े फार्मा हब बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ (बीबीएन) में उत्पादन प्रभावित हो रहा है। दाम दोगुना होने के बावजूद भी दवा निर्माताओं को कच्चा माल नहीं मिल रहा। कोरोना के चलते लगातार कामगार अवकाश पर हैं। प्रदेश में 750 दवा उद्योग हैं। अकेले बीबीएन में 350 दवा उद्योग हैं, लेकिन इन दिनों दवा उद्योगों को कच्चे माल की कमी बनी हुई है।

इसका सीधा असर छोटे दवा उद्योगों पर पड़ रहा है। दिसंबर में पैरासिटामोल का कच्चा माल 350 रुपये प्रति किलो था, जो अब 650 रुपये प्रति किलो है। कोविड दवा में लगने वाला एंटी इनफेक्टिव ड्रग इवरमेक्टिन पहले 18 हजार रुपये प्रति किलो मिल रहा था, अब 45 हजार रुपये प्रति किलो देने के बावजूद भी नहीं मिल रहा। डिक्लोसाइक्लीन ड्रग के दाम सात हजार से सीधा 11 हजार रुपये हो गए। पैकिंग मैटीरियल, पीवीसी और एल्यूमिनियम के दामों में भी 50 फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई है, लेकिन दवाओं के दाम बाजार में पहले जितने ही हैं।

ड्रग मैन्युफैक्चरिंग एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष राजेश गुप्ता ने बताया कि कोरोना के चलते दवा उद्योगों में कामगारों की कमी बनी हुई है, इससे उत्पादन प्रभावित हो रहा। दोगुना दाम होने के बाद भी कच्चा माल नहीं मिल रहा। अगर सरकार ने कच्चे माल को लेकर कोई ठोस नीति नहीं बनाई तो छोटे उद्योग बंद हो जाएंगे। लघु उद्योग भारती के फार्मा विंग के प्रदेशाध्यक्ष चिरंजीव ठाकुर ने बताया कि कोविड के इलाज के लिए बनने वाले दवा की कालाबाजारी शुरू हो गई है। कुछ बड़े सप्लायर मनमाने ढंग से इसे बेच रहे हैं। इससे छोटे उद्योगों को काम करना कठिन हो गया है। सरकार इस मनमानी पर रोक लगाए।