मुंबई। कोरोना वायरस को शरीर में बढ़ाने वाले एंजाइम पर रोक लगाने वाली दो दवाओं की पहचान की गई है। स्पेन के शोधकर्ताओं ने 6466 दवाओं को कम्प्यूटर तकनीक की मदद एनालाइज़ करके ऐसी दो ड्रग्स की पहचान की हैं जो संक्रमण के बाद कोरोना की संख्या (रेप्लिकेशन) को बढऩे से रोक सकते हैं। इस विशेष रिसर्च प्रोग्राम को कोविड मूनशॉट नाम दिया गया है। यह दावा स्पेन की रोविरा यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये दोनों कोरोना के उस एंजाइम पर लगाम लगाएंगी जिसकी वजह से वायरस अपनी संख्या को बढ़ाकर मरीज को वेंटिलेटर तक पहुंचा देता है। शोध के मुताबिक, कारप्रोफेन और सेलेकॉग्सिब एंटी-इंफ्लेमेट्री ड्रग हैं। इनमें से एक का इस्तेमाल इंसान पर और दूसरे का जानवरों के लिए किया जाता है। शोधकर्ताओं का मानना है इस रिसर्च के नतीजे वैक्सीन तैयार करने में मददगार साबित होंगे। कोरोना में एम-प्रो नाम का एक एंजाइम पाया जाता है। यह एंजाइम ऐसे प्रोटीन को बनाता है जिसकी इसकी मदद से वायरस शरीर में पहुंचकर अपनी संख्या को बढ़ाता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, दोनों दवाएं इसी एंजाइम को रोकने का काम करती हैं। रिसर्च में इसकी पुष्टि भी हुई है। शोधकर्ताओं की मेहनत से रिसर्च प्रोग्राम कोविड मूनशॉट के दौरान यह सामने आया कि कोरोना के मरीजों को 50 माइक्रोमोलर कारप्रोफेन देने पर एम-प्रो एंजाइम में 11.90 फीसदी और सेलेकॉग्सिब देने पर 4 फीसदी की कमी आती है। कुछ देशों में ऐसे ट्रायल चल रहे हैं जिनका लक्ष्य इसी एम-प्रो एंजाइम पर रोक लगाना है। इसके लिए एंटी-रेट्रोवायरल ड्रग लेपिनोविर और रिटोनाविर का प्रयोग किया जा रहा है। इन दवाओं को एचआईवी के इलाज के लिए बनाया गया था।