नई दिल्ली। भारतीय चिकित्सकों ने योगगुरु रामदेव के कोरोना के इलाज के दावे पर एतराज जताया है। बता दें कि बाबा रामदेव ने एक वीडियो में दावा किया है कि उन्होंने एक आयुर्वेदिक उपाय खोजा है जो कोरोनोवायरस को दूर करने में मदद करेगा। उन्होंने दावा किया है कि हमने अपने वैज्ञानिक अनुसंधान पाया है कि अश्वगंधा मानव प्रोटीन के साथ कोरोना प्रोटीन को नहीं मिलने देता है। हेल्थकेयर पेशेवरों का कहना है कि बाबाराम देव ने अपने शोध का कोई सबूत नहीं दिया हैं। पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया में महामारी विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. गिरिधर बाबू ने कहा कि इस तरह के संदेश सुरक्षा की झूठी भावना देते हैं। जो लोग अच्छी तरह से शिक्षित नहीं हैं, वे ऐसे दावों से गुमराह हो जाएंगे। सरकार को ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। वर्तमान में कोरोना के उपचार या रोकथाम के लिए कोई टीका या ड्रग्स स्वीकृत नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि प्रतिरक्षा जोखिम के बारे में किए जा रहे ट्वीट लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। दावों को लेकर पतंजलि और रामदेव ने कई कॉल और ईमेल का जवाब भी नहीं दिया है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार आयुर्वेद एक प्राचीन प्रणाली है जिसमें हर्बल दवाएं, व्यायाम और आहार संबंधी दिशा-निर्देश शामिल हैं। जिनका उपयोग भारत में लाखों लोगों द्वारा किया जाता है। कोरोना वायरस ने दुनियाभर में लगभग 200,000 और भारत में 140 से अधिक लोगों को संक्रमित किया है, जिनमें से तीन लोगों की मौत हो गई है। ऐसे में हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स को डर है कि आयुर्वेदिक कंपनियों के इस तरह के ट्वीट, कोरोना के खिलाफ उनकी लड़ाई को कमजोर करेंगे।
इस संबंध में मंत्रालय के एक सलाहकार मनोज केसरी का कहना है कि कंपनियों के उपाय प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करते हैं, लेकिन उन्हें इन दावों की जानकारी नहीं थी कि वे कोरोनावायरस से लडऩे में मदद कर सकते हैं। नेसारी ने कहा कि कोरोनावायरस एक नया वायरस है, इसलिए जाहिर है कि इसके इलाज को लेकर कोई सबूत नहीं है। एक बार जब हमें दावों की शिकायतें मिलेंगी तो हम उनकी जांच करेंगे। अभी कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती।