केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से संक्रमित रोगी के इलाज के लिए एचआईवी रोधी दवाइयों लोपीनेवीर और रीटोनेवीर देने की सिफारिश की है। रोगी की स्थिति की गंभीरता को देखते हुए मामला-दर-मामला इन दवाइयों का इस्तेमाल किया जाएगा। मंत्रालय ने मंगलवार को जारी दिशानिर्देशों में मधुमेह से ग्रसित, किडनी रोगियों, फेफड़े की बीमारियों से ग्रसित 60 वर्ष से अधिक उम्र के अत्यधिक जोखिम वाले समूहों के लिए लोपीनेवीर और रीटोनेवीर दवाइयों की सिफारिश की है।

स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक एम्स के चिकित्सकों, रोग नियंत्रण राष्ट्रीय केंद्र और डब्ल्यूएचओ के विशेषज्ञों सहित अन्य की सदस्यता वाली एक कमेटी ने यह सिफारिश की। मंत्रालय ने शरीर के किसी हिस्से में ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति में कमी, निम्न रक्तचाप, एक या एक से अधिक अंगों के काम करने से बंद कर देने, क्रिटीनीन की मात्रा में सीमा से 50 प्रतिशत तक वृद्धि जैसे लक्षणों वाले रोगियों के लिए भी लोपीनेवीर और रीटोनेवीर की सिफारिश की है। अस्पताल से छुट्टी पाने वाले कोरोना के सभी रोगियों को यह निर्देश दिया गया है कि यदि उनके स्वास्थ्य में गड़बड़ी आती है तो वे अस्पताल लौटें।

श्वसन रोगियों को एंटी वायरल नहीं-
मेडिकल लिटरेचर से पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाने के चलते श्वसन रोग से ग्रसित रोगियों के इलाज के लिए किसी एंटी-वायरल की सिफारिश नहीं गई है। इसमें इलाज करने वाले चिकित्सकों को गंभीर श्वसन संक्रमण वाले रोगियों की करीबी निगरानी करने को कहा गया है।

जयपुर में पहली बार दी गई ये दवाइयां-
ये दोनों दवाइयां कोविड-19 संक्रमण के चलते जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में फिलहाल इलाजरत एक बुजुर्ग इतालवी दंपती को पहली बार दी गईं। इन दोनों दवाइयों का व्यापक रूप से इस्तेमाल एचआईवी नियंत्रण के लिए किया जाता है।