वाराणसी। कोरोना संक्रमण के चलते निजी अस्पतालों के वजूद पर संकट गहरा गया है। इस समय उनके लिए अपने कर्मचारियों को वेतन देना ही मुश्किल हो रहा है। बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) और पहले से निर्धारित ऑपरेशन के लिए मरीजों की आवक थम गई है। मरीज अस्पताल जाने से बचने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं।
एक अस्पताल समूह के प्रमुख एके कौशिक का कहना है कि वाराणसी, गोपीगंज और मिर्जापुर में मेरे तीन अस्पतालों में 600 कर्मचारी काम करते हैं। अब आमदनी में भारी कमी के कारण मेरे लिए उन्हें समय पर वेतन देना मुश्किल हो रहा है। पूरे उद्योग में ओपीडी से इन-पेशेंट डिपार्टमेंट (आईपीडी) में आने यानी भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या 10 से 12 फीसदी है। अब ओपीडी में मरीजों की संख्या बहुत कम हो गई है। विश्लेषकों का कहना है कि बड़ी अस्पताल शृंखलाओं को भी कारोबार सामान्य होने के लिए कम से कम छह महीने जूझना होगा। एडलवाइस के विश्लेषक अंकित हातलकर ने कहा कि अस्पतालों पर यह असर अचानक पड़ा है। यह तब तक बना रहेगा, जब तक भारत में कोरोनावायरस के मामले नियंत्रण में नहीं आ जाते। पहले से तय की जाने वाली सर्जरी अब तक के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं। इसके अलावा अस्पताल कोविड-19 के मरीजों को संभालने के लिए अपने कर्मचारियों को तैयार नहीं कर पाए हैं, जिससे उन्हें परिचालन बंद करने को मजबूर होना पड़ रहा है। पिछले 24 घंटे के दौरान मुंबई में दो अस्पताल बंद हो गए क्योंकि उनके यहां मरीज पॉजिटिव पाए गए थे। ये अस्पताल ताड़देव में भाटिया हॉस्पिटल और मुलुंड में स्पंदन हैं। उदाहरण के लिए स्पंदन में करीब 65 डॉक्टरों और नर्सों को क्वारंटीन में रखा गया है। मुंबई में वॉकहार्ट और जसलोक जैसे प्रमुख अस्पतालों को पहले ही सील कर दिया गया है, जबकि इन दोनों अस्पतालों को कोविड-19 के मरीजों के इलाज का केंद्र बनाया गया था। अस्पतालों को सबसे पहले अपने कर्मचारियों के लिए व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) पर पैसा खर्च करने की जरूरत है, भले ही वे कोविड-19 के मरीजों का इलाज कर रहे हों या नहीं। इन किट की कीमत कम से कम 1,800 रुपये प्रति इकाई है। यही वजह है कि छोटे अस्पताल इन किट का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं या दोबारा इस्तेमाल कर रहे हैं। कुछ एक ही किट पूरे दिन पहन कर रहे हैं, जिसके दौरान वे विभिन्न मरीजों की जांच कर रहे हैं। यह आपदा को न्योता देना है। निजी अस्पताल इस संकट को पार करने के लिए सरकार से प्रोत्साहन पैकेज या अन्य किसी तरह की सहायता की मांग कर रहे हैं।