नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के इलाज के लिए संभावित दवाइयों की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी के लिए सरकार ने दवा इकाइयों को पर्यावरण नियमों की मंजूरी में ढील दे दी है। इसकी मदद से वे अपनी उत्पादन क्षमता को 50 फीसद तक बढ़ा सकेंगे। उधर, दवा निर्माताओं का कहना है कि इस प्रकार की छूट हर प्रकार के दवा उत्पादन के लिए मिलनी चाहिए ताकि दवा उत्पादन के मामले में चीन पर निर्भरता कम हो जाए।
गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से भारतीय दवा निर्माता अपनी क्षमता में बढ़ोतरी के लिए पर्यावरण मंजूरी में ढील की मांग कर रहे थे। दवा उत्पादन की क्षमता में बढ़ोतरी के लिए निर्माता कंपनियों को पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी लेनी पड़ती है, लेकिन इस मंजूरी में कई महीनों का समय लग जाने की वजह से उत्पादक अपनी क्षमता में विस्तार नहीं कर पाते हैं। चीन में कोरोना वायरस के फैलने के बाद चीन से दवा के कच्चे माल की सप्लाई चेन प्रभावित होने से भारतीय कंपनियों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने को लेकर बैठक की गई थी। इंडियन ड्रग मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन के कार्यकारी निदेशक अशोक कुमार मदान ने बताया कि कोविड19 से जुड़ी संभावित दवाइयों की उत्पादन क्षमता को 50 फीसद तक बढ़ाने की इजाजत दी गई है। इन दवा कंपनियों को 30 सितंबर तक इसके लिए आवेदन करना होगा। उन्होंने बताया कि भारत एपीआई बनाने में तो सक्षम है और उसकी उत्पादन क्षमता बढ़ भी जाएगी, लेकिन उस एपीआई को बनाने के लिए इंटरमीडिएट आइटम की जरूरत होती ह। इसके लिए हम अब भी चीन पर निर्भर है।