कोरोना वायरस के केस लगातार बढ़ रहे हैं। इस बीच आम लोगों को जागरुक बनाने का काम भी बड़े स्तर पर जारी है। आम जनता को समझाया जा रहा है कि कुछ सामान्य बातों की सावधानी बरती जाए तो कोरोना वायरस का सफलतापूर्वक सामना किया जा सकता है। कोरोना वायरस का इलाज नहीं है, लेकिन भारत में इसके मरीज लगातार ठीक हो रहे हैं। अब तक 10 मरीजों को स्वस्थ्य कर घर भेजा जा चुका है। इनमें यूपी के 5 और केरल के 3 मरीज शामिल हैं। मालूम हो, भारत में कोरोना वायरस की शुरुआत केरल के इन्हीं तीन मरीजों से हुई थी। ये छात्र चीन की वुहान यूनिवर्सिटी में पढ़ते थे और वहां बीमारी फैलने के बाद भारत लौटे थे।
ऐसे हुआ कोरोना वायरस मरीजों का इलाज
कोरोना वायरस अब इन्सानों से इन्सानों में फैलने लगा है। यानी सबसे बड़ी चुनौती यही है कि इसे फैलने से कैसे रोका जाए। जैसे ही किसी मरीज में कोरोना के लक्षण नजर आए, उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया। खासतौर पर विदेश से आने वाले हर मरीज की स्क्रीनिंग यानी जांच की गई। संदिग्धों को आइसोलेशन में रखा गया यानी सभी लोगों से बिल्कुल अलग। इसके बाद कोरोना वायरस के लक्षणों का इलाज शुरू हुआ।
www.myupchar.com से जुड़े एम्स के डॉ. अजय मोहन के अनुसार, अभी कोरोना वायरस का टीका नहीं बना है। दुनियाभर के वैज्ञानिक इसके लिए कोशिश कर रहे हैं। कुछ कंपनियों ने दवा बना लेने का दावा किया है, लेकिन अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। अभी कोरोना वायरस के मरीज अपने आप ठीक हो रहे हैं। अब तक जो इलाज किया जा रहा है वो इसके लक्षणों का ही है। बुखार के लिए एंटीपायरेटिक दवाएं जैसे पैरासिटामोल दी जा रही है। सर्दी जुकाम के लिए दवाएं दी जा रही हैं। गले में दर्द के लिए कुछ विशेष प्रकार की एंटीबायोटिक दवाएं दी जा रही हैं। आराम करने की सलाह दी जा रही है।
14 दिन तक यह प्रक्रिया दोहराई गई है। इसके बाद एक बार फिर टेस्ट किया गया। निगेटिव पाए जाने पर 24 घंटे बाद फिर टेस्ट हुआ और यह भी निगेटिव रहा तो मान लिया गया कि मरीज पूरी तरह ठीक हो गया है।
इस प्रक्रिया को अपनाकर अब तक 10 मरीजों को घर भेजा जा चुका है। हालांकि, उन्हें कुछ दिन दूसरों से अलग रहने और पूरी तरह आराम करने की सलाह दी गई है। इस बीच, राजस्थान के जयपुर में सवाई मानसिंह अस्पताल के डॉक्टरों ने दावा किया है कि उन्होंने इटली से आए एक मरीज को एचआईवी दवाओं के कॉम्बिनेशन से ठीक कर लिया है। इस मरीज को मलेरिया और स्वाइन फ्लू की दवाएं भी दी गई थीं। राजस्थान के हेल्थ सचिव रोहित कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की है। अब केंद्र सरकार को भी उम्मीद जगी है और इस दावे के बारे में आगे की पूछताछ की जा रही है।
अब तक दो मरीजों की मौत, जानिए कहां हुई थी गलती
भारत में कोरोना वायरस से अब तक दो मरीजों की मौत हुई है। पहली मौत कर्नाटक के कलबुर्गी में हुई थी, जब दुबई से लौटे 76 साल के शख्स को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था। पीड़ित के परिवार का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही के कारण यह मौत हुई। दरअसल, मरीज का शुरुआती इलाज घर पर ही हुआ था, जबकि कोरोना वायरस के सिलसिले में जरूरी है कि मरीज को बाकी लोगों से पूरी तरह अलग रखा जाए। वहीं 14 दिन की लगातार जांच के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाए, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मरीज को बीच में ही अस्पताल से छुट्टी भी दे गई थी।
कोरोना के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है बीमारियों से लड़ने की ताकत
कोरोना वायरस उन लोगों को ज्यादा निशाना बना रहा है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी बीमारियों से लड़ने की ताकत कम है। आमतौर पर बुजुर्ग इसका शिकार बन रहे हैं। लोगों को सलाह दी जा रही है कि वे स्वस्थ्य जीवनशैली अपनाएं। बाहर की चीजें न खाएं। साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें। www.myupchar.com से जुड़े डॉ. लक्ष्मीदत्ता शुक्ला के अनुसार, बीमारियों से लड़ने की ताकत आहार, व्यायाम, उम्र, मानसिक तनाव समेत अन्य कारणों पर निर्भर करती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए पूरी नींद लें, स्मोकिंग और शराब से दूर रहें, फल और हरी सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करें।