रांची। जहां देश भर में नए साल पर वैक्सीन को लेकर ख़ुशी का माहौल है। गौरतलब है कि सभी को ये उम्मीद थी कि साल 2021 में वैक्सीन देश में आ जाएगी। हालांकि ये बात भी सच साबित हुई। लेकिन इन्ही सब मामलो के बीच अब नकली दवा के कारोबारी सक्रीय हो गए है। बतादें कि नकली दवा के कारोबारियों को बाजार में और खासकर ग्रामीण इलाकों में किस दवा की अधिक मांग है, इसकी पूरी जानकारी होती है। इसी सूचना के आधार पर वे अपने कारोबार का विस्तार करते हैं।

बताते चले कि कुछ दशक पूर्व टीवी की निरंतर बढ़ती बीमारी के बीच टीवी की नकली दवा के कारोबार का भंडाफोड़ रांची में ही हुआ था। बाद में औषधि विभाग के अफसरों की मिलीभगत से यह केस भी रफा दफा हो गया। हाल के दिनों में भी कई इलाको में नकली दवा पर छापामारी होने के बाद उसका अंतिम परिणाम सार्वजनिक नहीं हो पाया है। ऐसी परिस्थिति में गांव देहात में कोरोना की वैक्सीन का बेसब्री के इंतजार कर रहे लोग ऐसे कारोबारियों के आसान शिकार हैं। इसलिए सरकारी स्तर पर भी इस बात पर अधिक ध्यान दिया जाना जरूरी है कि लोग पिछले दरवाजे से वैक्सीन हासिल करने के किसी माया जाल में ना उलझे।

वैक्सीन वितरण का ड्राई रन प्रारंभ होने के साथ साथ ही जनता को मास्क पहनने की हिदायत दी गयी है। साथ ही यह भी बार बार बताया जाना चाहिए कि किसी अनधिकृत माध्यम से वैक्सिन लेने का उनका प्रयास जानलेवा हो सकता है। दरअसल जानकार बताते है कि आम तौर पर इस किस्म का धंधा ग्रामीण इलाकों में अधिक होता है क्योंकि वहां के चिकित्सा सुविधा के अभाव की वजह से ग्रामीण मौत के कारणों की अधिक जांच नहीं कर पाते हैं। रांची जैसे शहरो में रोगी की तबियत बिगड़ने की वजह जानने में उनके परिजन एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं।

कई बार बड़े अस्पतालों में इसी वजह से मार पीट तक की नौबत आती है। बताते चलें कि कोरोना संकट के लॉकडाउन के दौरान नकली शराब का कारोबार भी धड़ल्ले से चला था। शराब पीने के शौकीन अपनी जरूरतों के लिए शराब के लिए भागे भागे फिर रहे थे। उसी मौका का फायदा नकली शराब के कारोबारों ने खूब उठाया था। वैसे इसी दौरान यह राज भी खुल गया था कि कई दुकानों ने अपने पिछले दरवाजे से भी दुकान में बंद पड़े स्टॉक को बाजार में अधिक कीमत पर खपा दिया था। कई मामलों में आबकारी विभाग द्वारा जब्त किया गया माल भी बाजार में चोर दरवाजे से बिक गया था। इस बार यही हालत कमोबेशी कोरोना वैक्सीन की है।

गौरतलब है कि नकली दवा की तरह ही नकली वैक्सीन बाजार में आने को तैयार बैठी है। पहले से ही झारखंड के ग्रामीण इलाको में नकली दवाइयों की भरमार है। खासकर डाक्टरों द्वारा बीकॉसूल जैसी दवाइयों का प्रेसक्रिप्सशन नकली दवा के कारोबारियों के काम आता है। इस बार इसकी तैयारी थोड़ी व्यापक तौर पर है क्योंकि नकली दवा का कारोबार करने वाले भी अच्छी तरह इस बात को समझ रहे हैं कि जनता बड़ी बेसब्री से इस कोरोना वैक्सीन का इंतजार कर रही है। इसलिए जल्दबाजी में और कालाबाजारी में यह वैक्सीन हासिल करना सभी के लिए जानलेवा साबित हो सकता है।