नई दिल्ली। कोरोना से बचने के लिए जिन लोगों को वैक्सीनेट किया गया है उनमें हार्ट इंफ्लेमेशन की समस्या उम्मीद से ज्यादा देखी गई है। यूएस मिलिट्री ने मंगलवार को खुद एक स्टडी के आधार पर ये दावा किया है। हालांकि बयान में ये भी कहा गया कि हार्ट इंफ्लेमेशन की ये दिक्कत अभी भी बहुत कम लोगों में देखी जा रही है। स्टडी के मुताबिक, वैक्सीनेट होने के बाद चार दिन के भीतर 25 साल की औसत आयु वाले 23 लोगों ने सीने में दर्द की शिकायद दर्ज कराई है। चिंता की बात ये है कि हार्ट इंफ्लेमेशन के ये मामले अनुमान से ज्यादा हैं। स्टडी के दौरान कुछ लोग मायोकार्डाइटिस से रिकवर हो चुके थे और कुछ रिकवरी पीरियड में थे।
स्टडी के मुताबिक, हृदय की मांसपेशियों में सूजन का ये मामला फाइजर, बायोएंडटेक या मॉडर्ना द्वारा बनाई गई वैक्सीन लेने के बाद सामने आया है। बता दें कि ये तीनों ही वैक्सीन अमेरिका के अलावा कई और देशों में भी लोगों को लगाई जा रही हैं। डीसीजीए ने भी मंगलवार को कोविड-19 रोधी वैक्सीन मॉडर्ना को भारत में आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। रॉयटर्स के मुताबिक पिछले सप्ताह ही अमेरिका के हेल्थ रेगुलेटर्स ने mRNA वैक्सीन से युवाओं में हार्ट इंफ्लेमेशन के जोखिम को लेकर चेतावनी जारी की थी। लेकिन वैक्सीन निर्माता कंपनियों का कहना था कि वैक्सीन से होने वाले फायदे इसके दुर्लभ साइड इफेक्ट से बेहद कम हैं।
JAMA कार्डियोलॉजी मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में बताया गया कि कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लेने वाले ये सभी लोग यूएस मिलिट्री के सदस्य हैं। इससे पहले 436,000 पुरुष सैन्य सदस्यों में से केवल आठ या उससे कम मामलों में ही मायोकार्डाइटिस का अनुमान लगाया गया था। सेंटर्स फॉर डिसीज एंड कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (CDC) ने पिछले सप्ताह कहा था कि मायोकार्डाइटिस के ज्यादातर मामले पुरुषों में ही देखने को मिले हैं। इस सप्ताह दूसरी डोज लेने के बाद सामान्य आबादी में इसका अनुमान लगाया जाएगा।
बता दें कि मायोकार्डाइटिस से जूझ रहे मिलिट्री के 8 जवानों ने स्टडी में डाग्नोस्टिक स्कैन भी दर्ज करवाएं हैं। स्कैन में मिले संकेत ये स्पष्ट बताते हैं कि लोगों में हार्ट इंफ्लेमेशन की ये समस्या किसी और वजह से नहीं हुई है। स्टडी में शामिल रोगियों की उम्र 20 से 51 वर्ष के बीच थी। बता दें कि CDC ने अप्रैल में ही mRNA वैक्सीन और हार्ट इंफ्लेमेशन को गंभीरता से लेते हुए इस पर रिसर्च शुरू कर दी थी। इजरायल ने भी Pfizer/BioNTech की वैक्सीन ले चुके कुछ लोगों पर स्टडी की थी। इजरायल के बाद अब यूएस मिलिट्री के सदस्यों ने भी इस दिक्कत का सामना किया है।
कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक V के बाद मॉडर्ना चौथी वैक्सीन है जिसे भारत में मंजूरी मिली है। मुंबई स्थित फार्मा कंपनी सिप्ला ने भी मॉडर्ना वैक्सीन के इम्पोर्ट और मार्केट अथॉराइजेशन के लिए मंजूरी मांगी थी जिसे डीसीजीआई ने मंजूर कर लिया है। मॉडर्ना के अलावा फाइजर की वैक्सीन को भी जल्द ही मंजूरी मिल सकती है। पिछले दिनों फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बौर्ला ने एक कार्यक्रम में बताया था कि भारत में फाइजर की वैक्सीन की मंजूरी की प्रक्रिया फाइनल स्टेज में है और जल्द ही कंपनी भारत सरकार के साथ समझौते को अंतिम रूप दे सकता है।