जोधपुर। कोरोना वायरस के इलाज के लिए रामबाण मानी जा रही दवा ‘हाइड्रोक्लोरोक्वीन’ को चीन में हुए एक शोध में बेअसर करार दिया गया है। शोध के दौरान हाइड्रोक्लोरोक्वीन का उपयोग लक्षण व बिना लक्षण वाले कोरोना संक्रमितों के दवा देने के बाद एक जैसी आई। बताया गया कि 181 मरीजों को शोध के लिए चुना गया। इनमें 50 फीसदी मरीजों को हाइड्रोक्लोरोक्वीन दी गई। पचास फीसदी अन्य मरीजों को साधारण प्रक्रिया से सर्पोटिंग उपचार के जरिए ठीक करने का प्रयास किया गया। कुछ दिन उपचार के बाद हल्के और मध्यम लक्षण वाले कोविड-19 के मरीजों की रिपोर्ट एक जैसी आई। शोध के अनुसार हाइड्रोक्लोरोक्वीन ज्यादा असरकारी नहीं है। इसके अलावा कई रोगियों में दवा के साइड इफेक्ट भी देखने को मिले। साइड इफेक्ट बहुत कम थे, लेकिन उन्हें नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता है। देश-प्रदेश में कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी देने वाले चिकित्सक व पैरा मेडिकल स्टाफ यही दवा ले रहा है। चिकित्सकीय स्टाफ सप्ताह में दो दिन गोली ले रहा है। एम्स जोधपुर के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. जीके बोहरा का कहना है कि भारत में इस दवा का प्रचुर उत्पादन होता है। ऐसे में उसके बेअसर होने का रिसर्च चिकित्सा जगत के लिए एक बड़ा झटका है। ये दवा मलेरिया के साथ ही आर्थराइटिस (गठिया) के मरीजों को भी दी जाती है। जो मरीज वेंटिलेटर ही नहीं बल्कि ऑक्सीजन पर थे, उन्हें हाइड्रोक्लोरोक्वीन देकर देखा गया। इन्हें कोई विशेष फायदा नहीं हुआ।