रोहतक। कोरोना संक्रमण की शुरुआत से अब तक लगातार पीजीआईएमएस लोगों के स्वास्थ्य के लिए जंग लड़ रहा है। दो हजार बेड की क्षमता वाले संस्थान में 520 कोरोना मरीजों के लिए रिजर्व हैं। इसके साथ 60 बेड आईसीयू, 32 बेड एक्सक्लूसिव आईसीयू, 53 वेंटीलेटर बेड, 32 एक्सक्लूसिव वेंटीलेटर बेड की यहां क्षमता है। 120 मरीज जिला रोहतक व आसपास के जिलों के यहां उपचाराधीन हैं। इन मरीजों में 102 मरीज ऐसे हैं जोकि 11 दिन से कम समय में यहां भर्ती हैं, जबकि 18 मरीज ऐसे हैं जोकि 11 दिन से अधिक समय बीतने के बाद भी उपचाराधीन हैं। उपचाराधीन मरीजों में 29 मरीज लक्षण वाले व 91 मरीज बगैर लक्षण वाले हैं। इनमें 18 आक्सीजन पर व दो वेंटीलेटर पर उपचाराधीन हैं। बतादे यहां 2437 मरीज उपचार के लिए भर्ती हो चुके हैं और 2176 मरीज ठीक हो चुके हैं। कोरोना से मरने वालों की संख्या अब तक 141 रही है, इसमें से 45 मरीजों की मौत अकेले जिला रोहतक की है। गौरतलब है कि संस्थान में उपचाराधीन मरीजों की यदि हालत बिगड़ती है तो उन्हें रेमिडेसिविर, टूसिलिजुमाब जैसे महंगे इंजेक्शन निशुल्क लगाए जा रहे हैं। हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि इन इंजेक्शनों को लगा कर हम गंभीर स्थिति में जा रहे मरीजों को कोरोना के संक्रमण से लड़ने लायक बनाने का प्रयास करते हैं। इसमें अड़चन यह आती है कि इस इंजेक्शन के साइडइफेक्ट आने का खतरा भी रहता है, इसलिए मरीज व उसके तीमारदार से इन इंजेक्शनों को लगाने से पहले सहमति पत्र लिया जाता है। टूसिलिजुमाब इंजेक्शन बाजार में 60 हजार रुपये के करीब का है, लेकिन संस्थान को यह 40 हजार रुपये में पड़ता है। यह इंजेक्शन और रेमिडेसिविर दोनों मरीजों को जरूरत पड़ने पर संस्थान निशुल्क लगाता है। सूत्रों की मानें तो इन्हीं इंजेक्शनों के सहारे संस्थान अपने कुछ डॉक्टरों को भी कोरोना के खतरे से बाहर लाया है। तो वही हेल्थ एक्सपर्ट मानते हैं कि अधिकांश मरीजों को वेंटीलेटर व ऑक्सीजन की जरूरत नहीं पड़ती। यही वजह है कि कोरोना का मरीज होम आइसोलेशन में रहना अधिक पसंद करता है।