नई दिल्ली। कोरोना वायरस का कहर लगातार बढ़ रहा है, इस घातक वायरस से दुनिया भर में लगभग 190 देश जूझ रहे हैं। भारत में भी इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 40 हजार पहुंचने के करीब है। भारत सरकार व स्वास्थ्य विभाग हर संभव कोशिश कर रही है कि ये खतरनाक वायरस देश में अधिक नुकसान न पहुंचाए। वहीं, आयुष मंत्रालय भी इस विषम परिस्थिति में आयुर्वेद से जुड़े कई शोध कर रहा है। इस बीच, केरल के एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक संगठन पंकजकस्तुरी हर्बल रिसर्च फाउंडेशन द्वारा विकसित एक आयुर्वेदिक दवा को कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल की मंजूरी मिल चुकी है। क्लिनिकल ट्रायल के लिए ICMR की अपेक्स बॉडी क्लिनिकल ट्रायल्स रजिस्ट्री ऑफ इंडिया (CTRI) के द्वारा ये मंजूरी दी गई है।
कंपनी की ओर से जारी हुए बयान में इस बात की पुष्टि की गई है कि इस दवा के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं हैं। राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी में हुए इनविट्रो एक्सपेरिमेंट से ये पता चलता है कि सांस संबंधी संक्रमण, वायरल फीवर, एक्यूट वायरल ब्रोंकाइटिस जैसी गंभीर समस्याओं के इलाज में ये दवा असरदार है। CTRI के अलावा, इंस्टिच्युशनल एथिक्स कमिटीज ने भी इस दवा को अप्रूव कर दिया है। साथ ही साथ देश भर के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में इस क्लिनिकल ट्रायल को करने की अनुमति दी गई है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (ICMR) जल्द ही कोरोना वायरस को लेकर एक अध्ययन के जरिये ये पता लगाने की कोशिश करेगा कि क्या ये वायरस म्यूटेट हुआ है या फिर पिछले 2 महीनों में इस वायरस ने अपना स्वरूप बदला है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे कोरोना वायरस के इलाज विकसित की जा रही वैक्सीन को असरदार बनाने में मदद मिलेगी। बता दें कि इस अध्ययन के लिए कोविड-19 मरीजों के सैंपल लिए जाएंगे।
हाल में ही आयुष मंत्रालय ने दावा किया कि आयुष क्वाथ के सेवन से लोगों की इम्यूनिटी को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसके साथ ही मंत्रालय ने एक पत्र में, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ‘हर्बल फॉरमेशन’ का व्यावसायिक उत्पादन शुरू करने का निर्देश भी दिया। इससे पहले भी मंत्रालय ने इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए हल्दी दूध और च्यवणप्राश जैसी चीजों को अपनी डाइट में शामिल करने का सुझाव दिया था।