कोरोना से लड़ाई में ठीक होने वाले मरीजों का प्लाज्मा बड़ा हथियार बन सकता है। चीन और कुछ देशों में इस दिशा में काम हुआ। ठीक होने वाले मरीजों के शरीर के प्लाज्मा को कोरोना से ग्रसित गंभीर मरीजों में डालकर उन्हें बचाया जा सकता है। इतना ही नहीं प्रोटीन के कण जिन्हें इंटरफेरॉन कहा जाता है। स्वस्थ हुए मरीज के इंटरफेरॉन भी कोरोना से लड़ाई में सफलता दिला सकते हैं। मेदांता मेडिसिटी के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा कि जरूरत पड़ने पर भारत में यह किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ब्लड ट्रांसफ्यूजन की तरह है। ठीक हुए मरीज के प्लाज्मा में वायरस से लड़ने के एंटीबॉडीज मौजूद होंगे जो कोरोना के दूसरे मरीज के संजीवनी का काम करेंगे।

कोरोना से संक्रमित 14 इतालवी डॉक्टरों का इलाज करने वाले मेदांता की वरिष्ठ डॉ. सुशीला कटारिया ने कहा कि ऐसा संभव है। उन्होंने कहा इतालवी मरीजों को ठीक करने में जिस स्टैंडर्ड प्रोसिजर को फॉलो किया गया। उसे केरल, कोलकाता समेत तमाम डॉक्टरों से साझा किया गया है। कोरोना से लड़ाई में स्वस्थ्य हुए मरीजों के प्लाज्मा और इंटरफेरॉन के इस्तेमाल पर मेदांता की डॉ. सुशीला कटारिया ने कहा कि इतालवी पर्यटकों के इलाज में ऐसा नहीं किया। उन्होंने कहा वे विदेशी नागरिक थे। भारत में कोरोना के मरीज बढ़ने पर इसे किया जा सकता हैं। उन्होंने कहा कि इसके हम एक प्रोटोकॉल बना रहे हैं। जिसमें स्वस्थ्य होने पर मरीज के प्लाज्मा लेने और दूसरे मरीज के इलाज में इसे इस्तेमाल की सहमति ली जाएगी। इतना ही नहीं जिस मरीज को बचाने के लिए प्लाज्मा और इंटरफेरॉन का इस्तेमाल किया जाएगा। उसकी सहमति भी ली जाएगी। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा लेने स्वस्थ्य हुए मरीज के ऊपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इसमें 30 मिनट का समय लगता है। बकौल, डॉ. कटारिया प्लाज्मा को एक साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। कटारिया ने बताया कि 14 इतालवी पर्यटक जो कोरोना से संक्रमित मिले थे उनमें 13 स्वस्थ्य हो चुके हैं। उन्होंने कहा पहले 1 मरीज को फिर 10 और सोमवार को दो मरीजों छुट्टी दी गई।

 हिन्दुस्तान जरूर जीतेगा: त्रेहन
कोरोना हमारे लिए अदृश्य दुश्मन की तरह है। इससे एकजुट होकर मजबूत लड़ाई की जरूरत है। मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार इस दिशा में बेहतर काम कर रही है। कोरोना से निपटने के हर स्तर पर तैयारी कर रही है। मेदांता मेडिसिटी के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन ने ‘हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत में कहा कि मैं दृढ़ संकल्पित हूं कि ‘हिन्दुस्तान’ कोरोना से लड़ाई जीतेगा। त्रेहन ने कहा कि मैंने और डॉ. देवी शेट्टी और डॉ. रमाकांत पांडा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि अगर देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ती है तो कैसे डॉक्टरों की संख्या को दोगुना किया जा सकता है। डॉ. त्रेहन ने कहा डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए भारत के पास चार विकल्प हैं। इसमें सेवानिवृत्त डॉक्टर, आखिरी साल की पढ़ाई कर मेडिकल स्टूडेंट, विदेशों से पढ़ाई करके आए छात्र शामिल हैं, जिन्होंने एमसीआई का टेस्ट पास नहीं किया है। इन्हें अस्थायी लाइसेंस देकर मरीजों के इलाज और देखरेख में लगाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके आयुष के डॉक्टर कोरोना के मोर्चे पर बहुत सक्रिया नहीं है। इन्हें कुछ दिनों का प्रशिक्षण देकर ड्यूटी सौंपी जा सकती है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और दूसरे देशों ने सेवानिवृत्त डॉक्टरों की सेवा ली है। ऐसा करने से डॉक्टरों की कमी काफी हद तक दूर हो जाएगी। त्रेहन ने कहा, उन्होंने इन सुझावों को ध्यान में रखने को कहा है।

बड़े स्तर पर जांच जरूरी:
लॉकडाउन के छठवें दिन में प्रवेश करने पर उन्होंने कहा कि अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी। अगले सोमवार तक के डाटा के आधार पर कोई निष्कर्ष निकाला जा सकेगा। त्रेहन ने कहा कि अब जरूरत है कि बड़े स्तर पर कम्युनिटी की टेस्टिंग की जाए, ताकि हमें कोरोना कहां तक फैला है? इसीलिए तीन हफ्ते का लॉकडाउन रखा गया है, ताकि कोरोना के फैलाव का ठीक से पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर टेस्टिंग के काम जारी है। त्रेहन ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह मैं भी लॉकडाउन की लक्ष्मण रेखा नहीं लांघने की गुजारिश करूंगा। लक्ष्मण रेखा लांघेंगे तो दिक्कत बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अगले सोमवार तक डाटा ही तय करेगा कि लॉकडाउन बढ़ाया जा सकता है या नहीं।

जल्द दूर होगी किल्लत:
डॉ. त्रेहन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हां ये सही है कि पीपीई किट की कमी है, उन्होंने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र की कपंनियों के स्तर पर इस संबंध में चर्चा जारी है। सभी चिंतित हैं, कि कैसे इनकी कमी को दूर किया जाए। मैनुफैक्चर्स भी अपने स्तर पर कोशिश कर रहे हैं। एन-95 की कमी के बारे में उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में दिक्कत है। इसको लेकर सीआईआई की अपील पर सभी सक्रिय हैं। महिंद्रा, टाटा, मारूति समेत दूसरे फैक्ट्रियों वाले बनाने को तैयार हैं। मुझे लगता है कि अगले तीन से चार दिनों में हल निकलेगा। एक सुझाव यह भी कि कुछ कच्चा मॉल मंगा लिया जाए। इस दिशा में भी काम हो रहा है।

लॉकडाउन का करें सम्मान :

डॉ. नरेश त्रेहन का कहना है कि मेरा स्पष्ट तौर विचार है कि सभी लॉकडाउन का सम्मान करें। लक्ष्मण रेखा न लांघे। अगर लक्ष्मण रेखा लांघेंगे तो दिक्कत बढ़ेगी। कोरोना से संयुक्त लड़ाई की जरूरत है, इसे हम बर्बाद नहीं करेंगे तो यह देश को बर्बाद कर देगा। सरकार ने डॉक्टरों का 50 के लाख बीमा देने और उनके साथ दुव्यर्वहार पर जो कदम उठाए हैं उससे हम सभी का मनोबल बढ़ा है।