भिलाई। स्थानीय मित्तल अस्पताल में दाखिल एक कोरोना मरीज को 3.39 लाख की दवा दी गई, फिर भी उसकी मौत हो गई। इस मरीज को 19 दिनों तक आईसीयू में ही रखा गया था। हालांकि, मृतक के परिवार ने अस्पताल प्रबंधन को बिल का भुगतान कर दिया, लेकिन आईसीयू में दाखिल मरीज को लाखों की दवा कौन सी दी गई, यह जानकारी मांग ली है। अस्पताल प्रबंधन के पास वैसे कम्प्यूटर में मरीज को दी गई दवा और उसके रेट वगैरह दर्ज रहते हैं, लेकिन प्रबंधन ने हिसाब देखकर बताने की बात कहते हुए समय मांग लिया है।
जानकारी अनुसार, कोरोना मरीज को मित्तल हॉस्पिटल में दाखिल किया गया। जहां उसकी मौत के बाद 6,86,320 रुपए का बिल बना। इसमें से अस्पताल प्रबंधन ने 31,320 रुपए छूट दे दी। इस तरह से कुल बिल 6,55000 रुपए का भुगतान परिवार की ओर से कर दिया गया। परिवार ने करीब पचास फीसदी से अधिक रकम पहले ही हॉस्पिटल में एडवांस के तौर पर जमा करवा दी थी। शेष रकम मरीज की मौत के बाद दे दी गई। परिवार इस वजह से हैरान हुआ कि कोविड-19 के मरीजों के नाम से पहले ही आईसीयू का चार्ज हर दिन का करीब 12 हजार रुपए है। 19 दिनों में आईसीयू में लगातार रहने के बाद उक्त मरीज के हॉस्पिटल बिल 346480 रुपए हुआ। जो प्रतिदिन के हिसाब से करीब 18235 रुपए हो रहा है। यह हर दिन के हिसाब से काफी अधिक बिल होता है। इसके बाद भी प्रबंधन ने मेडिसिन के नाम पर और बिल अलग से लिया है। मरीज के बिल में 5 दिन के रूम का किराया 50 हजार रुपए और 14 दिन का किराया 196000 रुपए बताया गया है। इस तरह से एक दिन का 14 हजार रूम किराया बताया गया है। अस्पताल प्रबंधन ने मेडिसिन के नाम पर उक्त परिवार से 339840 रुपए लिए। इस तरह से मेडिसिन हर दिन करीब 17886 रुपए की मरीज को दी गई। 28 हजार रुपए से अधिक की पैथोलॉजी जांच ही करवाई गई। 9500 रुपए नर्स चार्ज लगा। इसके अलावा कई खर्च और भी बताए गए हंै। अब परिवार जानना चाह रहा है कि आखिर किस-किस दवा पर यह 3.39 लाख रुपए खर्च किए गए हैं।