नई दिल्ली। कोरोना वायरस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं Ivermectin और Hydroxychloroquine (HCQ) पर अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की कोविड-19 नेशनल टास्क फोर्स ने बड़ा फैसला लिया है। शुक्रवार को आईसीएमआर टास्क फोर्स की तरफ से जानकारी दी गई कि अब कोरोना संक्रमित लोगों को दी जाने वाली ये दोनों दवाएं उपयोग में नहीं लाई जाएंगी, इन्हें गाइडलाइन से बाहर कर दिया गया है। विशेषज्ञों को कोविड के खिलाफ Ivermectin और HCQ के प्रभाव का कोई सबूत नहीं मिला है।
द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ICMR में महामारी विज्ञान और संक्रामक रोगों के प्रमुख समीरन पांडा ने बताया कि कोरोना मरीजों के इलाज में उपयोग की जाने वाली इन दवाओं के प्रभावी होने का कोई सूबत नहीं मिला है। उन्होंने आगे कहा, ‘बहुत सारी चर्चाएं हुईं और विशेषज्ञ आखिरकार इस नतीजे पर पहुंचे कि दोनों दवाओं की प्रभावशीलता साबित करने वाले पर्याप्त सबूत नहीं हैं और इसलिए उन्होंने कोविड -19 रोगियों को दी जाने वाली इन दवाओं को दैनिक उपयोग की लिस्ट से हटाने का फैसला लिया।’
इससे पहले मई में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डीजीएचएस) ने कोविड-19 उपचार से कई अन्य दवाओं के साथ-साथ आइवरमेक्टिन और एचसीक्यू के उपयोग को रोकने के लिए व्यापक दिशानिर्देश जारी किए थे। हालांकि उस दौरान ICMR ने दिशानिर्देशों का समर्थन नहीं किया, क्योंकि इस मामले पर DGHS और ICMR के विशेषज्ञों के बीच मतभेद था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना संक्रमित वयस्क रोगियों को दी जाने वाली दवा आइवरमेक्टिन और एचसीक्यू को प्रोटोकॉल से बाहर कर दिया गया है। इससे पहले भारत में धड़ल्ले से कोरोना के खिलाफ इन दवाओं का इस्तेमाल होता था, यहां तक कि डॉक्टर भी मरीजों को ये दवा प्रिस्क्राइब करते थे। आइवरमेक्टिन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) भी सवाल खड़ा कर चुका है। हालांकि अब कोरोना के खिलाफ प्रभावकारी नहीं होने की वजह से आईसीएमआर ने इस पर रोक लगा दी है।