नई दिल्ली। कोविड-19 के संक्रमणों की संख्या में पिछले कुछ दिनों से जैसी तेजी आई है उसने चिंता में डाल दिया है। जहां दुनिया में तेजी से वैक्सीनेशन का काम भी जारी है, सरकारों ने लॉकडाउन जैसे विकल्प फिर से अपनाने शुरू कर दिये हैं। इसी बीच अमेरिका से एक अच्छी खबर आई है। कोविड-19 के लिए एक प्रयोगात्मक दवा ने ऐसे नतीजे दिए हैं जिससे उसको लेकर उम्मीदें काफी बढ़ गई हैं।
इस दवा का विकास रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स एलपी एंड मेरेक एंड कंपनी कर रही है। इस दवा के प्राथमिक नतीजों से दवा निर्माता बहुत खुश हैं। इस दवा ने उन मरीजों में प्रभाव रूप से संक्रमित वायरस को कम किया जिन पर इसका प्रयोग किया गया था। इस दवा के उपचार के बाद पांच दिन के अंदर ही बीच अवस्था में मरीजों में ऐसे नतीजे देखने को मिले हैं।
रिजबैक के वैज्ञानिकों ने शनिवार को ही एक वर्चुअल मीटिंग के जरिए इस बात की जानकारी दी। द वाल स्ट्रीट जर्नल के मुतिबक इस दवा पर शोध जारी है और अगर इससे लोगों का इलाज सफल हुआ तो दुनिया की कोविड-19 के खिलाफ पहली ओरल एंटीवायरल दवा साबित हो सकती है।
कोविड-19 को दुनिया में फैले एक साल से ज्यादा हो गया है, लेकिन इसके इलाज को लेकर रोगियों के पास विकल्प नहीं के बराबर हैं। वैसे तो अभी तक उपयोग के लिए केवल एक ही एंटीवायरल उपयोग के लिए अधीकृत हुई है। जिलेड साइंसेस इंक क रेमडेसिविर दवा ने अस्पताल में भर्ती हुए मरीजों को केवल मामूल फायदे पहुंचाए हैं जिससे उनके अस्पताल में रुकने की समयावधि कम होती दिखी है।
मोल्नुपिराविर नाम की यह प्रयोगात्मक दवा उन लोगों के लिए बहुत उपयोगी हो सकती है जो कोविड-19 संक्रमित तो हैं, लेकिन बीमार हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि यह दवा उसी तरह का प्रभाव दिखा सकती है जो फ्लू में टेमीफ्लू नाम की दवा दिखाती है।
इस अध्ययन में शामिल नहीं रहे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिसीज के एड्स संभाग के निदेशक कार्ल डिफेनबैच कहते है कि यह वाकई आकर्षक और दिलचस्प है, लेकिन यह सौ प्रतिशत पूर्ण भी नहीं हैं। हमें इस बात की पुष्टि करनी होगी कि इसके क्लीनिकल लाभ हैं।
दवा शोधकर्ता कोविड-19 के लिए नई दवा की खोज करने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं जिससे वर्तमान में उपलब्ध उपचार के लिए बेहतर विकल्प उपलब्ध हो सकें। वे ऐसे उपचार की तलाश भी कर रहे हैं जो फिलहाल कोरोना वायरस के फैलते नए वेरिएंट के खिलाफ कारगर हों। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रमुख चिकित्सकीय सलाहकार और NIAID के निदेशक एंथोनी फासी का मानना है कि अब ऐसे एंटीवायरल विकसित करने की जरूरत है जो सीधे सार्स कोव-2 पर काम करें।
मोल्नुपिराविर दूसरी दवाओं की तरह स्पाइक प्रोटीन को निशाना बनाने के बजाय वायरस से उस हिस्से को निशाना बनाती है जो उसे पैदा करता है। 182 मरीजों में से दवा देने के पांच दिन बाद भी किसी को भी अस्पताल में दाखिल करने की नौबत नहीं आई। दवा लेने के तीन में ही संक्रमण की कमी दिखी तो पांच दिन बाद किसी मरीज में संक्रमित वायरस नहीं दिखा।