अनचाहे गर्भ को रोकने के विकल्पों में गर्भनिरोधक गोलियों को ज्यादा पसंद किया जाता है। इसके बाद कॉन्डोम का ऑप्शन अपनाया जाता है। इंटिमेट रोमांस के दौरान अनचाही प्रेगनेंसी और सेक्सुअल डिसीज से बचाव के लिए कॉन्डोम काफी सुरक्षित माना जाता है। मार्किट में भी प्रोटेक्शन के कई तरह के प्रकार और फ्लेवर मौजूद हैं। लेकिन कभी आपने दुकान में किसी को शाकाहारी कॉन्डोम खरीदते देखा है? इससे पहले कभी आपने वेजेटेरियन कॉन्डोम के बारे में सुना भी था? आज जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर शाकाहारी कॉन्डोम है क्या।
मार्केट में है शाकाहारी कॉन्डोम की डिमांड
पहले के समय में भेड़ की आंत का इस्तेमाल करके कॉन्डोम बनाया जाता था। इसके पश्चात कॉन्डोम को तैयार करने में पशुओं में पाया जाने वाला प्रोटीन ‘केसीन’ का प्रयोग होने लगा। कॉन्डोम को जिस रबड़ से बनाया जाता था उसे पतला करने के लिए जानवरों में पाया जाने वाला प्रोटीन ‘केसीन’ का प्रयोग होता है। मगर जो लोग शाकाहारी और पर्यावरण प्रेमी हैं, वो इस तरह तैयार किये गए प्रोटेक्शन का इस्तेमाल करना पसंद नहीं करते हैं। यही वजह है कि शाकाहारी कॉन्डोम की मांग बढ़ने लगी।
पेड़ों की चिकनाई का इस्तेमाल
शाकाहारी कॉन्डोम का निर्माण फिलिप सीफ़र और वाल्डेमर ज़ाइलर द्वारा किया जा रहा है। ये आइन्हॉर्न नाम की कंपनी चलाते हैं। गौरतलब है कि दूसरे कॉन्डोम को बनाने में पशुओं के प्रोटीन ‘केसीन’ का इस्तेमॉल होता है लेकिन इनके बनाए कॉन्डोम में ऐसा नहीं किया जाता है। फिलिप सीफ़र और वाल्डेमर ज़ाइलर शाकाहारी कॉन्डोम बनाने के लिए पेड़ों से मिलने वाली प्राकृतिक चिकनाई का इस्तेमाल कर रहे हैं। कॉन्डोम को नर्म बनाने के लिए इसी चिकनाई को प्रयोग में लाया जाता है।
शाकाहारी कॉन्डोम की खरीदारी में महिलाओं का अनुपात ज्यादा
आइन्हॉर्न नामक इस कंपनी द्वारा बनाए जा रहे इन शाकाहारी कॉन्डोम को खरीदने वाले उपभोक्ता की उम्र तकरीबन 20 से 40 साल के बीच की है। आंकड़ों के मुताबिक इनमें से 60 फ़ीसदी खरीदार महिलाएं हैं। इस कंपनी ने शाकाहारी कॉन्डोम बनाने के लिए पिछले 30 सालों में रबड़ के पेड़ों को बड़ी मात्रा में थाईलैंड में लगवाया है। इस काम के लिए इन्होंने छोटे किसानों को काम पर रखा। ध्यान देने वाली बात ये है कि इन बागानों में कीटनाशक का प्रयोग नहीं होता है।