इंदौर। खांसी की दवा का सैंपल जांच में फेल पाया गया है। संबंधित दवा कंपनी ने कोर्ट में जांच रिपोर्ट को चुनौती दी है। जांच के लिए सैंपल दोबारा कोलकाता की सेंट्रल ड्रग टेस्टिंग लैब में भेजे गए।

बताया जा रहा है कि कोलकाता की लैब से भी दवा की जांच रिपोर्ट आ चुकी है, लेकिन प्रदेश के अधिकारी इसे सार्वजनिक करने से बच रहे हैं। इस मामले पर अधिकारियों ने चुप्पी साध ली है।

यह है मामला

बता दें कि अफ्रीकी देश कैमरुन में निर्यात की गई बच्चों की दवा नैचर कोल्ड पर विवाद हुआ था। दवा का निर्माण इंदौर की कंपनी रिमन लैब ने किया था। इसके बाद केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने इंदौर में दवा निर्माण इकाइयों के साथ कच्चा माल सप्लाई करने वाली एजेंसियों पर भी जांच शुरू की थी।

बता दें कि सवालों के घेरे में आई दवा कंपनी से दवा के सैंपल भी लिए गए थे। खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग के अनुसार भोपाल की स्टेट ड्रग टेस्टिंग लैब में दवा को अमानक माना गया।

इसके बाद शासन ने केस दर्ज करवाने के लिए लिखा। कोर्ट के सामने कंपनी ने शासन की जांच रिपोर्ट को चुनौती दी। इस पर जांच कोलकाता की लैब को भेजी गई। सूत्रों के अनुसार कोलकाता से जांच रिपोर्ट स्थानीय अधिकारी को मिल गई है।

शासन ने पहले ही इस दवा कंपनी रिमन लैब को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की गाइडलाइन का पालन नहीं करने के चलते सील कर उत्पादन बंद करवा दिया था।

ड्रग कंट्रोलर राजीवसिंह रघुवंशी ने भी कहा था कि मानकों के पालन के लिए सख्ती बरती जाएगी और अमानक दवा बनाने वालों पर कार्रवाई चलती रहेगी।

गौरतलब है कि इससे पहले भी इंदौर की दवा कंपनी क्वेस्ट लेबोरेटरीज के एमडी अनिल सबरवाल को जामतारा (झारखंड) की कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई थी। इस कंपनी की दवा (बच्चों को बुखार में दी जाने वाली पैरासिटामाल ओरल सस्पेंशन) को अमानक करार दिया गया था। सरकारी अस्पताल को यह दवा इंदौर की कंपनी ने सप्लाई की थी।

सैंपल मिले फेल

तीन दिन पहले इसी कंपनी की ऐसी ही दवा के जबलपुर से लिए गए सैंपल भी फेल हो चुके हैं। अब इंदौर की एक और कंपनी द्वारा निर्मित दवा अमानक पाए जाने की जानकारी सामने आ रही है। राज्य की रिपोर्ट की ही पुष्टि कोलकाता की लैब से भी हो जाती है तो निर्माता पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होगा।