FSSAI: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (FSSAI)  का उद्देश्य होता है यह सुनिश्चित किया जाए कि देश में हर व्यक्ति को पर्याप्त मात्रा में सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिल सके। दुनिया में हर दस में से एक व्यक्ति दूषित भोजन का सेवन करने से बीमार पड़ जाता है। 7 जून 2022 को विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण का चौथा राज्य सुरक्षा सूचकांक (SFSI)  जारी किया था जिसमें हरियाणा 13वें नंबर पर आया।

FSSAI ने पांच खाद्य सुरक्षा श्रेणियों की रिपोर्ट जारी की

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक 2021-22 जारी किया था। इस दौरान पांच खाद्य सुरक्षा श्रेणियों में राज्यों के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए रिपोर्ट तैयार की गई थी। साल 2021-22 की रेटिंग के आधार पर विजेता राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनके प्रदर्शन के लिए अतिरिक्त रूप से सम्मानित किया गया।

इस सूचकांक में ओडिशा पहले और यूपी दूसरे स्थान पर है। उत्तराखंड इस सूची में शीर्ष-20 में भी जगह नहीं बना पाया। इस सूची में त्रिपुरा पांचवें स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश 11वें और झारखंड 12वें स्थान पर रहे जबकि हरियाणा 13वें स्थान पर रहा। तेलंगाना इस सूची में 14वें, सिक्किम 15वें, छत्तीसगढ़ 22वें स्थान पर है।

हरियाणा के पिछड़ेपन के कारण

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक में हरियाणा की रैंकिंग कम होने का मतलब है कि हरियाणा के खाद्य आपूर्ति विभाग ने बेहतर काम नहीं किया है। हरियाणा खाद्य आपूर्ति विभाग पर मानकों में डिजिटलीकरण, आधार सीडिंग सहित भुखमरी, कुपोषण को नियंत्रित करने में उतना सफल नहीं हो पाया है कि जितना की उसे होना चाहिए। गौरतलब है कि हरियाणा के फूड सेफ्टी अधिकारी शिकायत मिलने पर मिलावटी डेयरियो का दौरा तो करते हैं, लेकिन अपनी जेबें भरकर बिना कार्यवाही वापस चले जाते हैं। फूड विभाग के होते हुए भी नकली पाउडर, नकली पनीर, मिठाईयां, नकली दही लोगों को परोसी जा रही है। लोग धीरे-धीरे खाद्य पदार्थों के साथ मानो जहर खा रहे हैं। यही वजह है कि इसी खानपान की वजह से आज लोगों को कितनी बीमारियों का शिकार होने पड़ रहा है।

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक क्या होता है

राज्य खाद्य सुरक्षा सूचकांक का उद्देश्य होता है कि खाद्य सुरक्षा के चयनित मापदंडों पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रदर्शन को मापना है। सूचकांक का उद्देश्य सभी राज्यों में खाद्य सुरक्षा पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करना है।

इन आधारों पर राज्यों के प्रदर्शन को मापा जाता है-

 मानव संसाधन : इसमें प्रमुख रूप से यह देखा जाता है कि मानव संसाधनों की उपलब्धता कितनी है।  खाद्य सुरक्षा अधिकारी, निर्णयों और अपीलीय न्यायाधिकरणों में नामित अधिकारियों की सुविधा, राज्य और जिला स्तर की संचालन समितियों का कामकाज, लंबित मामले, उनकी निगरानी और खाद्य प्राधिकरण की केंद्रीय सलाहकार समिति की बैठकों में भागीदारी।

उपभोक्‍ता सशक्‍त‍िकरण: राज्यों व केंद्रों द्वारा उपभोक्‍ताओं से जुड़े हुए संस्थानों को सशक्‍त करने के लिए क्या-क्या किया गया है। फूड फोर्टिफिकेशन, ईट राइट कैंपस, भोग (भगवान को आनंदित हाइजीनिक भेंट), रेस्तरां की स्वच्छता रेटिंग, स्वच्छ स्ट्रीट फूड हब की सुरक्षा।

अनुपालन: इसमें देखा जाता है कि राज्य/ केंद्र शासित प्रदेशों के आकार और आबादी के अनुरूप खाद्य व्यवसायों का लाइसेंस और पंजीकरण हुआ है या नहीं।

 

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