भिवानी। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दादरी गेट स्थित एक मेडिकल स्टोर पर मरीज को 390 रुपए में गर्भपात की आयुर्वेदिक दवा बेचते दुकानदार को दबोचा और दुकान को सील कर दिया है। टीम की छापामारी के दौरान दुकान पर फार्मासिस्ट के बिना ही दवाइयां बेची जा रही थी। साथ ही यहां प्रेक्टिस भी की जा रही थी। हैरानी की बात यह है कि इसी दुकान के नाम से चंद कदम की दूरी पर एक मैटरनिटी अस्पताल भी है, जिसकी जांच की तो वहां कोई चिकित्सक नहीं मिला। जांच में सामने आया कि उक्त दुकान संचालक स्वयं को चिकित्सक बताते हुए दवाइयां देता था। इस कारण एमटीपी एक्ट के साथ-साथ धोखाधड़ी का केस भी दर्ज किया गया है।
सिविल सर्जन को गुप्त सूचना मिली कि दादरी गेट स्थित एक दवा दुकानदार गर्भपात की दवाइयां देता है। उसका अस्पताल भी है। इसके बाद एक महिला को नकली ग्राहक बनाकर भेजा गया। महिला ने स्वयं को दो माह की गर्भवती बताते हुए गर्भपात की दवा मांगी तो उक्त दुकान पर मौजूद दुकानदार ने अलग-अलग किट बनाकर दी। दवाइयां 390 रुपये में दी गई। इसी दौरान डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. कृष्ण कृमार की टीम ने छापा मारा। जांच की तो दवाइयां आयुर्वेदिक थी। इसके बाद आयुर्वेदक विभाग से डॉ. संदीप कुमार को बुलाया गया। जांच में पाया गया कि दी गई आयुर्वेदिक दवाइयों से गर्भपात संभव है। इसके अलावा जांच में पाया कि जो दुकानदार दवा वितरित कर रहा था, उसके पास फार्मेसी का लाइसेंस ही नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई से दवा दुकानदारों और प्राइवेट अस्पताल संचालकों में हडक़ंप बना रहा। कुछ दुकानदार तो अपनी दुकानें बंद कर चलते बने। डिप्टी सिविल सर्जन स्वास्थ्य विभाग डॉ. कृष्ण कुमार के अनुसार गर्भपात की दवाइयां बेचने की शिकायत पर छापेमारी की गई थी। नकली ग्राहक को 390 रुपए में गर्भपात की आयुर्वेदिक दवाइयां दी गई।
दुकानदार के पास लाइसेंस भी नहीं था। दुकान पर मौजूद कृष्ण कुमार के खिलाफ केस दर्ज करने के लिए पुलिस को कहा गया है। दुकान को सील कर दिया गया है। दुकान पर बिना किसी लाइसेंस और अनुमति के दवाइयां बेची जा रही थी। रिकॉर्ड की भी जांच की गई। बाद में इसकी शिकायत जैन चौक चौकी में दी गई। दुकान को सील कर दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दादरी गेट पर दिनेश नर्सिंग एंड मैटरनिटी होम पर छापा मारा तो पता लगा कि यह बंद पड़ा है, यहां चिकित्सक ही नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने यहां सारी चीजों, दवाइयों की जांच की। ईसीजी, अल्ट्रासाउंड में प्रयोग होने वाली जैली की बोतलें मिली, मगर ना ईसीजी मशीन और ना ही अल्ट्रासाउंड मशीन। कुछ औजार भी मिले। गर्भपात संबंधित कुछ नहीं मिला। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने बताया कि स्वयं को चिकित्सक बताकर दुकान पर इलाज किया जाता था। टीम सदस्यों ने अस्पताल के बोर्ड हटाने के निर्देश दिए।