पुणे। गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने से दो मरीजों की जान पर बन आई है। दरअसल, दोनों मरीजों को एक-दूसरे के पास लिटाकर खून चढ़ाया जाना था। उन्हें गलती से दूसरे ब्लड ग्रुप का खून चढ़ा दिया गया।

गनीमत रही कि पास बैठे एक मरीज के रिश्तेदार ने ब्लड पाउच पर लिखा नाम पढ़ लिया। फौरन ब्लड ट्रांसफ्यूजन रोका गया। अभी दोनों मरीजों को आईसीयू में ऑब्जर्वेशन पर रखा गया है। उन्हें 72 घंटों तक निगरानी में रखने के बाद कुछ स्पष्ट हो पाएगा।

मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, किसी व्यक्ति को गलत ब्लड टाइप का खून चढ़ाना जानलेवा साबित हो सकता है। जिसे गलत ब्लड दिया गया है, उसका इम्यून सिस्टम दूसरे ब्लड ग्रुप की कोशिकाओं पर हमला शुरू कर देता है। ऐसे में ब्लड ट्रांसफ्यूजन का कोई मतलब नहीं रह जाता।

इम्यून और क्लॉटिंग सिस्टम की सक्रियता से मरीज शॉक में जा सकता है। उसकी किडनी फेल हो सकती है। वहीं, ब्लड सर्कुलेशन में परेशानी आती है। यहां तक कि मरीज की मौत भी हो सकती है। इसलिए खून चढ़वाते समय बेहद सावधानी रखनी चाहिए।

ये है ब्लड ट्रांसफ्यूजन

मरीज के शरीर में बाहरी रक्त चढ़ाने को ब्लड ट्रांसफ्यूजन कहते हैं। मरीज की नस में सुई लगाई जाती है। यह सुई एक कैथेटर से जुड़ी रहती है। खून को इसी इंट्रावीनस लाइन के जरिए शरीर में दाखिल कराया जाता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन में मरीज को सही खून चढ़ाया जाना बहुत जरूरी रहता है।

ये होते हैं लक्षण

अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के अनुसार गलत ब्लड ट्रांसफ्यूजन के शुरुआती लक्षणों में कंपकंपी छूटना है। इसके अलावा बुखार आना और बदन दर्द शामिल हैं। कुछ ट्रांसफ्यूजन रिएक्शंस के लक्षण हल्के होते हैं और खुद-ब-खुद ठीक हो जाते हैं। कई मामलों में यह जानलेवा साबित हो सकता है।