भोपाल। भोपाल के गैस पीड़ित संगठनों ने कोरोना वैक्सीन का ट्रायल गैस पीड़ितों पर नहीं करने की मांग की है। संगठनों का कहना है कि गैस पीड़ित पहले से विभिन्न् बीमारियों से ग्रस्‍त हैं। वैक्सीन के ट्रायल से उनका स्वास्थ और खराब होने की आशंका है। भोपाल में जिन 1700 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया, उनमें करीब 700 लोग गैस पीड़ित हैं। इनमें से कुछ लोगों को पहली डोज लगाए जाने बाद विभिन्न तकलीफें शुरू हो गईं। इन लोगों पर दूसरे डोज का ट्रायल न किया जाए।

संगठनों ने यह मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर की है। गैस पीड़ित संगठनों का आरोप है कि ट्रायल करने वाली संस्था ने वालेंटियर्स का रिकॉर्ड नहीं रखा। तबीयत खराब होने के बाद उन्हें इलाज भी नहीं दिया। यह वैक्सीन ट्रायल की गाइडलाइन का उल्लंघन है। पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के डीन  -डॉ. अनिल दीक्षित ने बताया कि वालेंटियर की स्वेच्छा से उन्हें ट्रायल में शामिल किया गया। टीका लगाने के बाद सात दिन तक लगातार फोन पर दीपक मरावी की हालत पूछी गई थी। दीपक की मौत के बाद परिजन ने इसकी सूचना दी। नियमानुसार 60 साल से ज्यादा उम्र वालों से ऑडियो-विजुअल सहमति और कम उम्र वालों से लिखित सहमति ली गई है।

इधर, वालेंटियर दीपक मरावी की मौत के मामले में गठित छह सदस्यीय जांच कमेटी के अध्यक्ष गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल के फार्मोकोलाजी विभाग के एचओडी डॉ. एके श्रीवास्तव ने कहा कि वैक्सीन ट्रायल में प्रोटोकॉल का पालन किया गया है। वालेंटियर से फोन पर बात का रिकॉर्ड भी ट्रायल करने वाले पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के पास है। इसके अलावा वालेंटियर के दस्तखत हैं। काउंसिलिंग करने का ब्यौरा भी है। वालेंटियर को पहले से कोई बीमारी भी नहीं थी।