इंदौर। शहर की दवा दुकानों पर विभिन्न बीमारियों से ग्रस्त लोगों को उनकी जरूरत की दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। सरकार दावा कर रही है कि देश में दवाइयों का स्टॉक है। लोग हैरान हैं कि दवाइयां हैं तो उन्हें मिल क्यों नहीं रहीं। दरअसल दवाइयों का भारी स्टॉक सीएंडएफ एजेंटों के पास तो है, लेकिन उनके गोदामों में कैद है। प्रशासन सप्लाई का सिस्टम सुधार दे तो बाजारों से दवाइयों की किल्लत खत्म हो सकती है। मामले में बेसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन ने सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। प्रशासन की लापरवाही और ड्रग इंस्पेक्टरों के ऐसे संवेदनशील मौके पर बाजार से गायब होने के कारण दवाइयों की कमी हुई है। स्थानीय प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा, इसलिए मुुख्यमंत्री तक बात पहुंचाई गई है। बेसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के मुताबिक सीएंडएफ एजेंट दवा के वे कारोबारी होते हैं जो सीधे कंपनी से अनुबंधित होते हैं। इन्हें कंपनी ट्रकों से बल्क में दवा बेचती है। फिर वे पूरे प्रदेश या संभाग में दवा बेचने के लिए अधिकृत होते हैं। सीएंडएफ एजेंट दवाइयों को आगे डिस्ट्रीब्यूूटर या होलसेलर्स के पास भेजते हैं। वहां से दवाइयां रिटेल काउंटरों तक बेची जाती हैं। अभी दवा बाजार की दुुकानें तो खुलवाई जा रही हैं, लेकिन उनके पास माल आ ही नहीं रहा तो वे दवा कैसे उपलब्ध करवा पाएंगे। इंदौर में लसूड़िया क्षेत्र में दवा कंपनियों के सीएंडएफ एजेंट हैं। उनके गोदामों में दवा का भारी स्टॉक है, लेकिन वे गोदाम खोल नहीं रहे हैं। इसी कारण दवाइयां खत्म हो गई हैं।
बेसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव के अनुसार एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर कहा है कि स्थानीय प्रशासन को कहें कि कि सप्ताह में एक दिन सीएंडएफ एजेंट को गोदाम खोलकर माल सप्लाई के निर्देश दें। एजेंट को माल भेजने के लिए लोकल ट्रांसपोर्टेशन का सहयोग प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराया जाए। ड्रग इंस्पेक्टरों के पास पूरा रिकॉर्ड होता है कि किसके पास कितना स्टॉक है। उन्हें भी पूरे सिस्टम में जिम्मेदारी दी जाए।