गोरखपुर, दुर्गेश त्रिपाठी। कोरोना संक्रमण के बीच एक और बुरी खबर है। गाेरखपुर में भी म्यूकारमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस ने दस्तक दे दी है। 35 से 50 वर्ष के छह लोग इससे संक्रमित हैं। तीन मरीज डाक्टरों के संपर्क में रहकर घर तो अस्पताल में भर्ती तीन मरीजों का कोरोना संक्रमण के साथ इलाज चल रहा है। टेलीमेडिसिन के जरिये बाबा राघवदास मेडिकल कालेज के नेत्र रोग विशेषज्ञों से सलाह लेने वाले कुछ लोगों ने ब्लैक फंगस जैसे लक्षणों की जानकारी दी है।

गले से आंख और दिमाग की ओर बढ़ता है संक्रमण

वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. अनिल श्रीवास्तव कहते हैं कि ब्लैक फंगस के छह मामले उनके संज्ञान में आए हैं। आक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले कई मरीज ठीक होने के बाद भी लगातार आ रही खांसी का इलाज कराना चाहिए। ब्लैक फंगस गले से नाक और जबड़ों को प्रभावित करते हुए आंख तक पहुंच रहा है। इससे आंख में सूजन आने लगती है, आंख लाल होने लगती है।

कोरोना संक्रमण के कारण आक्सीजन सपोर्ट पर रहने वाले प्रभावित

नेत्र सर्जन डा. रजत कुमार ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण इसका आंखों पर प्रभाव का पहला लक्षण हर वस्तु दो-दो दिखना होता है। सूजन इतनी ज्यादा बढ़ने लगती है कि आंखें बाहर की ओर निकलने लगती हैं। समय से इसका इलाज शुरू हो जाए तो बीमारी दूर की जा सकती है। दवाओं से राहत न मिलने पर आपरेशन करना पड़ता है।

इनको है ज्यादा खतरा

अनियंत्रित मधुमेह

ज्यादा स्टेरायड लेने के कारण कम होती प्रतिरोधक क्षमता

आइसीयू में ज्यादा समय भर्ती होने वाले

अंग प्रत्यारोपण कराने वाले व कैंसर के मरीज

कोरोना संक्रमितों में यह लक्षण दिखें तो सतर्क हो जाएं

आंख से कोई वस्तु दो-दो दिखना, सीने में दर्द, सांस लेने में दिक्कत, नाक बंद होना, नाक से काला या लाल पानी बहना, नाक में दर्द होना, चेहरे के एक तरफ दर्द, सूजन, दांत दर्द, जबड़ों में दर्द

एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन नहीं है उपलब्ध

ब्लैक फंगस होने पर एंफोटेरिसिन बी इंजेक्शन की कई डोज लगानी पड़ती है। थोक दवा मंडी भालोटिया मार्केट में हर्षिता फार्मा के प्रोपराइटर अभिनीत मणि त्रिपाठी बताते हैं कि बाजार में इस इंजेक्शन की उपलब्धता पहले रहती थी लेकिन ज्यादातर मरीज लखनऊ या दिल्ली चले जाते थे। अब बाजार में इसकी मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई है। एक इंजेक्शन की कीमत सात से आठ हजार रुपये होती है। बाजार में इंजेक्शन उपलब्ध नहीं है।

स्टेरायड लेने वाले ज्यादा खतरे में

वरिष्ठ फिजिशियन डा. एके सिंह कहते हैं कि ब्लैक फंगस गले में शरीर की बड़ी धमनी कैरोटिड के रास्ते खून के साथ आंखों में पहुंचता है। कोरोना संक्रमण के कारण कई लोग अपने मन से स्टेरायड का इस्तेमाल शुरू कर दे रहे हैं। स्टेरायड शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है। इससे फंगस को बढ़ने का मौका मिलता है। स्टेरायड की डोज निर्धारित कर ज्यादा से कम पर ले आया जाता है लेकिन अधिकांश लोग अचानक स्टेरायड का इस्तेमाल बंद कर दे हैं।

मस्तिष्क पर गहरा असर

आंख के रास्ते ब्लैक फंगस मस्तिष्क में पहुंचता है तो संक्रमण तेजी से बढ़ता है। इससे सिर में दर्द, बेहोशी, लकवा, मिर्गी का दौरा आदि लक्षण दिखने लगते हैं।